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अखण्ड भारत दिवस 14अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है?Akhand Bharat diwas

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  अखण्ड भारत की सीमायें हिमालय से हिन्दमहासागर तक ईरान से इंडौनेशिया,जावा सुमात्रा तक फैली हुई थी।महाभारत और रामायण काल मे मलेशिया,इंडौनिशिया,थाईलैण्ड,फिलीपींस,वियतनाम कम्बोडिया, जैसे देश भी भारत वर्ष के अटूट हिस्से थे।इसकी सीमायें इतनी विस्तृत थी। कि यहां चक्रवर्ती सम्राटों का शासन हुआ करता था।हमारे पूर्वज भारत की सीमाओं को लांघकर ज्ञान का दर्शन देने गये। उन्होने किसी पर अत्याचार नहीं किये।किसी को सताया नहीं सनातन संस्कृति की शिक्षाओं के लिए किसी पर बलात बल का प्रयोग नहीं किया।बल्कि ज्ञान का प्रकाश फैलाया। अखंड भारत की चर्चा में हमारा देश बहुत विशाल था छोटे बड़े 24 देशों से मिलाकर अपना देश आर्यव्रत कहलाता था।विश्व का सिरमौर और नेतृत्व करता था। इसी कारण आर्यवृत्त को खण्डित करने का कुचक्र रचाया गया।पिछले 2500 वर्षों मे विभिन्न आक्रान्ताओं और देशो के द्वारा भारत पर बारम्बार आक्रमण कर या षड़यन्त्र रचकर खण्डित किया गया।पाकिस्तान का विभाजन 24वां विभाजन था।यह विभाजन अन्तिम था। फ्रैन्च,डच,शक,यमन,यूनानी,मंगोल,मुगल,और अंग्रेजों के द्वारा हुआ।सात विभाजन अंग्रेजोंँ द्वारा किये गये।प्राचीन भार...

उत्तरकाशी धराली में आयी दैवीय आपदा में बादल फटा? या ग्लेशियर टूटा? Uttarakashi Dhrali Natural Disaster

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  [10/08, 6:34 am] sr8741002@gmail.com: उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद या ग्लेशियर टूटने से आई तबाही,  उत्तराखंड के धराली गांव में बादल फटने के बाद आई बाढ़ ने तबाही मचाई। कई घर और होटल कीचड़ और मलबे में  दफन हो गए। सड़कें और पूल टूट गए। इस हादसे के बाद की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं। उत्तराखंड के धराली गांव में मंगलवार को आई अचानक बाढ़ ने तबाही मचा दी। कीचड़ और मलबे ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे इमारतें, सड़कें, पेड़ और खेत-खलिहान दफन हो गए। सैटेलाइट तस्वीरों ने इस भयावह मंजर को कैद किया है, जो इस आपदा की गंभीरता को बयां करती हैं। गांव पर मंडराया मलबे का साया नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की तस्वीरें बताती हैं कि खीर गंगा नदी के रास्ते में आए सैलाब ने धराली गांव को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। मलबे ने भागीरथी नदी के एक बड़े हिस्से को भी अवरुद्ध कर दिया, जिससे नदी का रास्ता बंद हो गया। 13 जून और 7 अगस्त की तस्वीरों में साफ दिखता है कि एक पुल और बाग-बगीचे भी पानी और कीचड़ में डूब गए। ग्लेशियर टूटने की आशंका एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह तबाही खीर गंगा नदी के ऊपरी ...

क्या है?रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 2025 Rakshabandhan

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  रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का प्रमुख त्यौहार है।यह त्यौहार भाई बहन के बीच अगाध स्नेह एवं अटूट विश्वास का प्रतीक है। रक्षाबंधन एक सामाजिक पौराणिक धार्मिक और ऐतिहासिक है।विश्वास की भावना के धागे से बना एक ऐसा पावन बंधन है जिसे रक्षाबंधन के नाम से केवल भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और मॉरिशस में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।राखी का त्योहार संपूर्ण भारतवर्ष में सदियों से मनाते चले आ रहे हैं।आइये जानते हैं,  राखी से जुड़ा इतिहास-  भविष्य पुराण में राखी का वर्णन मिलता है जब देव और दानवों में युद्ध शुरू हुआ था।तब दानव भारी होते नजर आने लगे।भगवान इंद्र घबरा कर बृहस्पति के पास गए वहां बैठी इंद्र की पत्नी इन्द्राणी सब सुन रही थी।उन्होंने रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बांध दिया संयोग से यह दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। कहते हैं  कि इंद्र इस लड़ाई में इसी धागे के मंत्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन से रक्षा धागा बांँधने की प्रथा चली आ रही है।  राजा बलि को भी  माता लक्ष्मी ने रक्षासूत्र बांधा था।दानव रा...

कारगिल विजय दिवस भारतीय सैनिकों को सैल्यूट करता है Kargil Vijay Diwas

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  भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में हुए कारगिल युद्ध की यह 26वीं वर्षगाँठ है। कारगिल युद्ध से पहले भारत और पाकिस्तान ने 1998 में दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण किए जाने के कारण उग्र माहौल बन गया था। और इस स्थिति को शांत करने के प्रयास में दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये। जिसमें कश्मीर संघर्ष का शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय समाधान प्रदान करने का वादा किया गया था।लेकिन पाकिस्तान 1998 की सर्दियों के दौरान ही सशस्त्र बलों को गुप्त रूप से पाकिस्तानी सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को प्रशिक्षण दे रहे थे। और उन को प्रशिक्षण देकर (एलओसी) नियंत्रण रेखा पार करके भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करा रहे थे।जिनमे आतंकवादी भी थे।पाकिस्तान के लगभग 5000 सैनिकों और आतंकवादियों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। एक भारतीय चरवाहे ने भारतीय सेना को इस घुसपैठ की सूचना दी। भारतीय सेना द्वारा चरवाहे से मिली जानकारी की जांच के लिए पेट्रोलिंग टीम भेजी गई।तो पांच भारतीय जवानों को पाकिस्तानी फौजियों ने पकड़ लिया और उनकी हत्या कर दी।पाकिस्तान की इस  हिमाकत के बाद युद्ध...

भारत की सीमा तिब्बत से लगती है न कि चीन से?India shares its border with Tibet and not with china?

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  नेरेटिव सेट करने के खेल में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने चीन को  उसी के स्टाइल में जवाब दिया। अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने गुरुवार को एक इंटरव्यू में कहा कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा तिब्बत के साथ लगती है, न कि चीन के साथ पहली बार  उनका यह बयान अजूबा और गलत लग सकता है। हमें शुरू से ही बताया गया है कि पूर्व दिशा में भारत की लगभग 1200 किलोमीटर की सीमा चीन से लगती है, लेकिन इस तथ्य को अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने डिप्लोमेटिक ट्विस्ट दे दिया है। पेमा खांडू ने कहा कि भारत का अरुणाचल प्रदेश राज्य चीन के साथ नहीं बल्कि तिब्बत के साथ 1200 किलोमीटर की सीमा साझा करता है,पीटीआई के साथ इंटरव्यू में सीएम पेमा खांडू ने यह बयान तब दिया है जब दलाई लामा के बहाने तिब्बत चर्चा में है। इसके अलावा चीन कई बार अरुणाचल प्रदेश पर अपना अवैध बेबुनियाद दवा जताता रहता है, इस दावे की पुष्टि के लिए चीन एक तरफा तौर पर इस क्षेत्र के कई इलाकों के नाम बदलता रहता है। आपकी गलती ठीक कर दूं  इंटरव्यू के दौरान जब उन्हें बताया गया कि अरुणाचल प्रदेश की 1200 किलोमीटर की सीमा ची...

1857 की क्रांति के नायक मंडल पांडे ने विद्रोह क्यों किया?Mangal pandye

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  1857 के विद्रोह की शुरुआत 29 मार्च को हुई थी।  इस विद्रोह के नायक और स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे थे। आज  के दिन पूरा देश उनको याद करता है। 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्मे मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को बंगाल की बैरकपुर छावनी में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। 1857 की क्रांति के पीछे कारतूस ने अहम भूमिका निभाई थी। दरअसल जो एनफील्ड बंदूक थी। उसमें कारतूस भरने के लिए दांतो का इस्तेमाल करना पड़ता था। पहले कारतूस को काटकर खोलना पड़ता था और उसके बाद उसमें भरे हुए बारूद को बंदूक की नली में भरकर कारतूस को डालना पड़ता था।पानी की सीलन से बचाने के लिए कारतूस के बाहर चर्बी लगी होती थी।सिपाहियों में यह  अफवाह फैल गई थी। कि कारतूस में लगी चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनाई जाती है। ऐसे में सिपाहियों को लगा  कि अंग्रेज़ उनका धर्म भ्रष्ट करना चाहते हैं। इसी मुद्दे को आधार बनाते हुए बैरकपुर छावनी में मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजा दिया। छावनी के परेड ग्राउंड में मंगल पांडे ने दो अंग्रेज अफसरों को गोली मार दी।इसके बाद मंगल पां...

हरेला 2025 की थीम क्या है Harela 2025 Theem

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  जी रंया जागी रंया  फूल जस खिलना रंया  हरेला सिर्फ एक त्योहार न होकर उत्त्तराखंड की जीवन शैली का प्रतिबिम्ब है। हरेला उत्तराखण्ड का एक सांस्कृतिक लोक पर्व और प्रसिद्ध त्योहार है।यह हरियाली और  शांति, समृद्धि, और पर्यावरण संरक्षण के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। यह श्रावण माह में मनाया जाता है हरियाली को समृद्धि से जोड़ा जाता है। पहले यह प्रमुख रूप से उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र मे मनाया जाता था। हरेला बोने के लिए स्वच्छ मिट्टी का उपयोग किया जाता ह।इसमें कुछ जगह घर के आस-पास सुबह से मिट्टी निकाल कर सुखाई जाती है। और उसे छानकर टोकरी में जमा लेते हैं। और फिर अनाज डालकर इसे उसे सींचा जाता है। अनाज मे धान, मक्का, उड़द,तिल, और भट्ट शामिल होते हैं। हरेला को घर पर या  देवस्थान पर भी बोया जाता है। घर में किसी मंदिर के पास रखकर 9 दिन तक देखभाल की जाती है। और फिर दसवें दिन घर के बुजुर्ग इसे काटकर अच्छी फसल की कामना के साथ देवताओं को समर्पित करते हैं।और परिवार  बच्चों और छोटों को आशीर्वाद देते हैं।  परन्तु अब यह पूरे प्रदेश मे मनाया जाता है।यह हरियाली और नये...

उत्तराखंड की ज्वलंत समस्यायें

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  त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों का प्रचार-प्रसार चल रहा है, लेकिन इस बार चुनावी घोषणा पत्रों का अभाव सा दिख रहा है, विगत वर्षों में विभिन्न स्तर की सरकारों द्वारा या त्रिस्तरीय पंचायतों द्वारा मूलभूत समस्याओं का निराकरण किया है,चाहे गांव के खड़ंजे,हो या फिर बिजली,पानी,शिक्षा, स्वास्थ्य,इन सेवाओं में भी पहुंच हुई तो है,चाहे पानी की आपूर्ति का सुचारू न रहना,यह समस्या है,साथ ही ग्रामीण स्वास्थ्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का अभाव भी है,और यदि हैं,तो कई, समस्याओं से ग्रसित है,इन सब में सुधार‌ की आवश्यकता है, लेकिन सबसे ज्वलंत और चुनौतीपूर्ण जो समस्याये  हैं,  *पलायन* -पलायन किसी भी कारण हो लेकिन आज यह एक सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण विषय बन चुका है, इस चुनौती पूर्ण समस्या के समाधान हेतु सरकारों,प्रतिनिधियों और समाज को चिंतन के साथ-साथ क्रियान्वयन की ओर बढ़ना होगा, ग्रामीणों युवाओं को स्वावलंबन, स्वरोजगार की और प्रेरित करना होगा, भेड़ बकरी पालन, मधुमक्खी पालन बागवानी या कारपेंटर, राजमिस्त्री जैसे कार्यों को करने में युवाओं को संकोच नहीं होना चाहिए, और इन कार्यों को करवाने हेतु युआव...

विश्व प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस2025 Plastic Bag Free Day 2025

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  अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस हर सा़ल 3 जुलाई को विश्वभर मे मनाया जाता है। प्लास्टिक बैग को रिसाइकिल करना मुश्किल और महंगा होता है। जहां उन्हें फोटोडिग्रेड होने में लगभग 300 साल लग जाते हैं। तो कोई छोटे-छोटे जहरीले कणों में टूट जाते हैं।और जो मिट्टी और जलमार्गों को दूषित करते हैं,और जब जानवर गलती से उन्हें खा लेते हैं तो वे खाद्य श्रृंखला मे प्रवेश कर जाते हैं।जिससे पशुओं की अकाल मृत्यु हो जाती है। प्लास्टिक बैग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता, करने कि कैसे प्लास्टिक की थैलियाँ मानव और पशु स्वास्थ्य के लिए गंभीर पर्यावरणीय खतरा पैदा करता है। अगर प्लास्टिक की थैलियों का उचित तरीके से निपटान न किया जाता है तो  कूड़े -कचरे और तूफानी जल निकासी नालियों के अवरोध का कारण बनकर समस्त पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। आज के समय में वैश्विक स्तर पर आबादी और आबादी के लिए प्लास्टिक बैग के उपयोग को कम करने और अधिक टिकाऊ किस्मों का पता लगाने के लिए एक जागरुकता के रूप में कार्य करने की आवश्यकता हैं। दुनिया भर में लोग,पर्यावरण समूह और संगठन प्लास्टिक बैग के परिणामों के बारे ...

विश्व योग दिवस 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है ?क्या है विश्व योग दिवस 2025 थीम? What is the theme of yoga day in 2025?

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 योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जो अब वैश्विक संस्कृति का हिस्सा बन गया है, योग शुरू से ही भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। और इसको आरोग्य का प्रभावी साधन माना गया है। भारत के महर्षि पतंजलि को योग का जनक माना जाता है। योग भारत के स्वर्ण युग की देन माना जाता है ।करीब 26000 साल पहले की देन माना जाता है।  योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत धातु रूप युज से निकला है। जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना,या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना का शरीर से मिलन होता है।योग को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। योग को महर्षि पतंजलि ने 200 ईसा पूर्व लिखा था। इस ग्रंथ को अब तक हजारों भाषाओं में लिखा जा चुका है।योग सिर्फ ध्यान की ही नहीं बल्कि सारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत जरूरी है। महर्षि पतंजलि ने  योग के 195 सूत्र को प्रतिपादित किया था। जो योग दर्शन के स्तंभ माने गए हैं। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की महिमा को बताया है। जो स्वस्थ जीवन के लिए बहुत  महत्वपूर्ण माना गया है।महर्षि पंतजलि ने अष्टांग योग साधना का उपदेश दिया है। उसके नाम इस प्रकार से हैं। 1- यम  2-नियम  3-आसन  4...

छत्रपति शिवाजी महाराज और हिन्दू साम्राज्योत्सव दिवस 2025 Chatarpati SiVaji aMaharaj and HinduSamrajyotsav divas2025Hindu

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आधुनिक भारत मे छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदू साम्राज्य को पुनः स्थापित किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने रायरेश्वर (भगवान शिव) के मंदिर में अपनी उंगली काटकर अपने खून से शिवलिंग पर रक्ताभिषेक कर हिंदवी स्वराज्य की शपथ ली थी। उन्होंने श्री (ईश्वर) की इच्छा से स्थापित हिंदुओं के राज्य की संकल्पना को जन्म दिया।  ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी सन 1674 को  शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किया गया था। इसी दिन से मराठा शक्ति का उदय होने के साथ ही हिंदू साम्राज्य का भी उदय हुआ मराठों के पूर्वजों में हिंदू धर्म को जीवित और अक्षुण बनाये रखने के लिए अपनी आहुतियां दी थी। जिनकी वीरताओं की गाथा आज भी सुनाई जाती है।  भारत में हिंदू संगठनों में से मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक वाले दिन को हिंदू साम्राज्योत्सव के रूप में मनाता है। हिंदू साम्राज्योत्सव दिवस मनाने का उद्देश्य है हिंदू साम्राज्य, संस्कृति, सभ्यता, और सौहार्द के प्रति हिंदू समाज को जागरूक करना।  छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 की शुभ लग्न में जीजाबाई की कोख से हुआ था। श...

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2025 की थीम क्या है ?What is the theem of world food Sefty day 2025??

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  विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2025:   World Food Sefty day 2025 : विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस प्रतिवर्ष 7 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य सुरक्षित और पोषणयुक्त भोजन के महत्व के प्रति वैश्विक जागरूकता फैलाना है ताकि लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो और अर्थव्यवस्थाएँ अधिक मजबूत बन सकें। 2025 में इस दिवस की थीम है — “Food Safety Science in Action” (खाद्य सुरक्षा, क्रियाशील विज्ञान)। यह विषय इस बात पर केंद्रित है कि विज्ञान, नवाचार और डेटा किस प्रकार से खाद्य जनित रोगों के खतरों को कम कर सकते हैं। आज भी लाखों लोग असुरक्षित भोजन से पीड़ित हैं, इसलिए यह दिन ‘फार्म से फोर्क’ (खेत से थाली तक) के हर चरण में सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2025  की थीम को  “Food Safety: Science in Action” विषय के अंतर्गत मनाया जा रहा है। दिसंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यह दिवस घोषित किया गया। पहली बार 7 जून 2019 को विश्व स्तर पर विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया गया। यह दिवस खाद्य संरषण और बीमारियों की रोकथाम में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित क...

विश्व पर्यावरण दिवस 2025की मेजबानी और थीम क्या है? World Environment Day 2025 Theem and Hosting country

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  World Environment Day 2025 विश्व पर्यावरण दिवस 2025: विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। यह वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों पर कार्रवाई करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख पहल है। 1972 में अपनी स्थापना के बाद से, यह एक शक्तिशाली वैश्विक मंच के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें सालाना 150 से अधिक देश शामिल होते हैं। मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया , पहला विश्व पर्यावरण दिवस 1973 में मनाया गया था। प्रत्येक वर्ष, एक अलग देश समारोह की मेजबानी करता है और वैश्विक पर्यावरणीय प्राथमिकता को उजागर करने के लिए एक विशिष्ट विषय चुना जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 का थीम “प्लास्टिक प्रदूषण को हराना” है। यह थीम बढ़ते विश्व भर में प्लास्टिक संकट से निपटने की तत्काल आवश्यकता को बल देती है, प्लास्टिक जो पारिस्थितिकी तंत्र, वन्य जीवन,और मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। प्लास्टिक वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े प्रदूषकों में से एक बन गया है, जिसमें माइक्रोप्लास्टिक महासागरों, मिट्टी और यहां तक ​​कि मानव शरीर के अंदर भी ...