उत्तराखंड की ज्वलंत समस्यायें
त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों का प्रचार-प्रसार चल रहा है, लेकिन इस बार चुनावी घोषणा पत्रों का अभाव सा दिख रहा है, विगत वर्षों में विभिन्न स्तर की सरकारों द्वारा या त्रिस्तरीय पंचायतों द्वारा मूलभूत समस्याओं का निराकरण किया है,चाहे गांव के खड़ंजे,हो या फिर बिजली,पानी,शिक्षा, स्वास्थ्य,इन सेवाओं में भी पहुंच हुई तो है,चाहे पानी की आपूर्ति का सुचारू न रहना,यह समस्या है,साथ ही ग्रामीण स्वास्थ्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का अभाव भी है,और यदि हैं,तो कई, समस्याओं से ग्रसित है,इन सब में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन सबसे ज्वलंत और चुनौतीपूर्ण जो समस्याये हैं,
*पलायन* -पलायन किसी भी कारण हो लेकिन आज यह एक सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण विषय बन चुका है, इस चुनौती पूर्ण समस्या के समाधान हेतु सरकारों,प्रतिनिधियों और समाज को चिंतन के साथ-साथ क्रियान्वयन की ओर बढ़ना होगा, ग्रामीणों युवाओं को स्वावलंबन, स्वरोजगार की और प्रेरित करना होगा, भेड़ बकरी पालन, मधुमक्खी पालन बागवानी या कारपेंटर, राजमिस्त्री जैसे कार्यों को करने में युवाओं को संकोच नहीं होना चाहिए, और इन कार्यों को करवाने हेतु युआवों विभिन्न स्तरों पर प्रेरित करना और योजनाओं को सरलीकरण करवाना होगा,
**ग्रामीण कृषि की दुर्दशा-* आज ग्रामीण कृषि की दुर्दशा हो गई है, किसान खेती नहीं कर रहा है, और कर भी रहा है तो उसकी फसलों को जंगली जानवर चौपट कर दे रहे हैं, इस हेतु ठोस कदम उठाने की जरूरत है, इस हेतु किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मनरेगा जैसे कार्यों को स्वयं की खेती पर किसान को मजदूरी के लिए प्रेरित किया जाये,कि वह स्वयं अपनी खेती को करें और उसे मजदूरी भी मिलेगी, वह अपनी खेती में नगदी फसलों, (मिर्च,अदरक,हल्दी,अरबी,तोर गहत)और मंडुवा,झंगोरा,विभिन्न दालों को उगा सकता है,और वह अपने फसलों की रखवाली भी स्वयं कर सकता है,या फिर सामूहिक खेती करने को प्रोत्साहित किया जा सकता है, या बागवानी और इसमें कुछ स्वयं सहायता समूह कार्य भी कर रहे हैं।साथ ही राज्य सरकार की भी योजना में कार्य कर रही है।इस हेतु प्रेरित करना और सहयोग करना।
*बंद होते सरकारी विद्यालय/संस्थान* -एक समाय था जब ग्रामीण क्षेत्रों में नये विद्यालयों की मांग बड़ी मात्रा में होती रहती थी,आज ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालय है उनमें विभिन्न प्रकार के संसाधन भी है लेकिन पढ़ने के लिए विद्यार्थी नहीं है, इसके लिए सरकारें भी दोषी नहीं है,बल्कि आम समाज और जनप्रतिनिधि भी दोषी है, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अगर कहीं है तो वहां कर्मचारियों का अभाव, लंबी- लंबी पेयजल योजनाओं पर कर्मचारियों का अभाव,हम स्वहित के चक्कर में सर्वहित और जनकल्याण की भावनाओं को भूल गये, जिस कारण से यह स्थिति बन गई है, और इस स्थिति को सुधारने के लिए हम सबको मिलकर कार्य करना होगा।
*युवाओं की शादियों का न हो पाना-* आज ग्रामीण क्षेत्रों में हो या शहरी क्षेत्रो में युवाओं की शादियां नहीं हो पा रही है । इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैंं इसका मुख्य कारण कुटुंब प्रबोधन का अभाव,और विगत दशकों में कन्या भूर्ण हत्याओं को करना, और आज के युवाओं का पश्चिमी अपसंस्कृति के प्रभाव से ग्रसित होना, आज यह समाज के लिए अभिशाप बन गया है। हम मूलभूत समस्याओं, आवश्यकताओं के लिए तो कार्य करेंगे ही,लेकिन आज की ज्वलंत समस्यायें जो समाज की हैं। हम सबको समाज की इन ज्वलंत समस्याओं के समाधान हेतु आगे आने की आवश्यकता है।
आपका शुभेच्छु
संजय