भारत की सीमा तिब्बत से लगती है न कि चीन से?India shares its border with Tibet and not with china?

 


नेरेटिव सेट करने के खेल में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने चीन को  उसी के स्टाइल में जवाब दिया। अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने गुरुवार को एक इंटरव्यू में कहा कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा तिब्बत के साथ लगती है, न कि चीन के साथ पहली बार  उनका यह बयान अजूबा और गलत लग सकता है। हमें शुरू से ही बताया गया है कि पूर्व दिशा में भारत की लगभग 1200 किलोमीटर की सीमा चीन से लगती है, लेकिन इस तथ्य को अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने डिप्लोमेटिक ट्विस्ट दे दिया है। पेमा खांडू ने कहा कि भारत का अरुणाचल प्रदेश राज्य चीन के साथ नहीं बल्कि तिब्बत के साथ 1200 किलोमीटर की सीमा साझा करता है,पीटीआई के साथ इंटरव्यू में सीएम पेमा खांडू ने यह बयान तब दिया है जब दलाई लामा के बहाने तिब्बत चर्चा में है। इसके अलावा चीन कई बार अरुणाचल प्रदेश पर अपना अवैध बेबुनियाद दवा जताता रहता है, इस दावे की पुष्टि के लिए चीन एक तरफा तौर पर इस क्षेत्र के कई इलाकों के नाम बदलता रहता है।

आपकी गलती ठीक कर दूं

 इंटरव्यू के दौरान जब उन्हें बताया गया कि अरुणाचल प्रदेश की 1200 किलोमीटर की सीमा चीन से लगती है तो उन्होंने तुरंत टोकते हुए कहा मैं आपकी गलती ठीक कर दूं हम तिब्बत के साथ बॉर्डर साझा करते हैं न कि चीन के साथ उन्होंने आगे कहा कि आप मैप देखिए सच्चाई यह है कि भारत का भी राज्य सीधे तौर पर चीन से बॉर्डर शेयर नहीं करता है,हमारी सीमा सिर्फ तिब्बत से लगी हुई है, यह ठीक है कि 1950 में चीन ने वहां आकर तिब्बत पर जबरदस्ती कब्जा किया, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है, ये बात अलग है आधिकारिक  तौर पर तिब्बत अब चीन के अधीन है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है,लेकिन हम मूल रूप तिब्बत के साथ सीमा साझा करते हैं। और अरुणाचल प्रदेश में हम तीन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को साझा करते हैं भूटान के साथ लगभग 150 किलोमीटर, तिब्बत के साथ लगभग 1200 किलोमीटर,जो देश की सबसे लंबी सीमाओं में से एक है और पूर्वी तरफ म्यांमार के साथ लगभग 550 किलोमीटर खांडू ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्य इस बात की पुष्ट करते हैं, कि यह भारत तिब्बत सीमा थी, और उन्होंने 1914 के शिमला सम्मेलन का हवाला दिया जिसमें ब्रिटिश ,भारत, चीन और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों को अपने नाम देने की चीन की आदत पर उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश ने एक बार नहीं बल्कि पांच बार स्थानों का नाम बदला है। उन्होंने कहा मुझे लगता है कि पिछली बार उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों का नाम बदला था। अगर मैं गलत नहीं हूं तो मुझे लगता है कि यह उनका कुल पांचवा प्रयास था,इसलिए यह हमारे लिए आश्चर्य की बात नहीं है। हम चीन की आदत जानते हैं और मुझे लगता है की आधिकारिक तौर पर विदेश मंत्रालय  इससे निपटा है। और उन्हें जवाब दिया है।


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