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Showing posts from November, 2025

परमवीर चक्र सम्मानित यदुनाथ सिंह Paramvir chakra Awardee YaduNath singh

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 यदुनाथ सिंह (परमवीर चक्र विजेता) भारतीय सैनिक (1916-1948) नायक यदुनाथ सिंह परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक हैं। इन्होने भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947 में अद्वितीय साहस का योगदान दिया तथा वीरगति को प्राप्त हुए। इन्हे यह सम्मान सन 1950 में मरणोपरांत दिया गया।  परमवीर चक्र श्री यदुनाथ सिंह को 1941 में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इन्होने बर्मा में जापान के खिलाफ लड़ाई में भाग लिया था। उन्होंने बाद में भारतीय सेना के सदस्य के रूप में 1947 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया। 6 फरवरी 1948 को नौशेरा, जम्मू और कश्मीर के उत्तर में युद्ध में योगदान के कारण नायक सिंह को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। प्रारंभिक जीवन श्री यदुनाथ सिंह  का जन्म 21 नवंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के खजुरी गांव में हुआ था। इनके पिता बीरबल सिंह राठौर थे और माता का नाम यमुना कंवर था। वह आठ बच्चों (6 भाई और एक बहन) में तीसरे थे। श्री सिंह ने अपने गांव के स्थानीय स्कूल में चौथी तक के मानक का अध्ययन किया था लेकिन वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के कार...

वीरांगना लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से समर्पण की बजाय युद्ध क्यों चुना? Why did the break women Laxmi Bai choose war enstead of surrendering to the British?

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  [19/11, 10:03 am] sr8741002@gmail.com: रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका बाज था। उनके पिता का नाम मोरोपन्त ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था। जब लक्ष्मी बाई 4 वर्ष की थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गई।उनके पिता मराठा बाजीराव द्वित्तीय के दरबार मे सेवारत थे।बचपन मे ही उन्होंने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा घर पर ही ली।1842 मे  लक्ष्मीबाई का विवाह गंगाधर राव के साथ हुआ।बाद मे 1853 मे गंगाधर राव की मृत्यु के बाद वह  झांसी की रानी बनी। गंगाधर राव ने एक पुत्र को गोद लिया था। जिसका नाम दामोदर राव रखा गया था।और दामोदर राव को अपने वारिस के रुप मे रखा गया। उस समय लार्ड डलहौजी ने यह  नियम बनाया था। कि जिस राज्य के राजा की मृत्यु होगी वह राज्य स्वतः ही अंग्रेजी हुकूमत मे विलय हो जायेगा। जिसका नाम हड़प नीति से जाना जाता है।अंग्रेजों ने1854 में 60000₹लक्ष्मीबाई को वार्षिक पेंशन के रूप में दिया गया।1857 को भारत मे अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत हुई। जब यह खबर झांसी तक पहुंची। तो लक्ष्मी ने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी। 23 मार्च...

क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान था? What was the contribution of revolutionary batukeswar Dutt in the Indian freedom struggle?

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  [18/11, 2:19 am] sr8741002@gmail.com:  Batukeswar dutt  महान क्रान्तिकारी बटुकेश्वर दत्त का जन्म 18 नवम्बर 1910 को ओँयाड़ि ग्राम, बर्धमान जिले बंगाल में हुआ। बटुकेश्वर दत्त भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। बटुकेश्वर दत्त को देश ने सबसे पहले 8अप्रैल 1929 को जाना,जब वे भगत सिंह के साथ केन्द्रीय विधान सभा में बम विस्फोट के बाद गिरफ्तार किए गए। उन्होनें आगरा में स्वतंत्रता आन्दोलन को संगठित करने में उल्लेखनीय कार्य किया था। उन्होंने बचपन अपने जन्म स्थान के अतिरिक्त बंगाल प्रान्त के वर्धमान जिला अंतर्गत खण्डा और मौसु में बीता। उनकी स्नातक स्तरीय शिक्षा पी॰पी॰एन॰ कॉलेज कानपुर में सम्पन्न हुई। 1924 में कानपुर में इनकी भगत सिंह से भेंट हुई। इसके बाद इन्होंने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के लिए कानपुर में कार्य करना प्रारंभ किया। इसी क्रम में बम बनाना भी सीखा।8 अप्रैल 1929 को दिल्ली स्थित केंद्रीय विधानसभा (वर्तमान में संसद भवन) में भगत सिंह के साथ बम विस्फोट कर ब्रिटिश राज्य की तानाशाही का विरोध किया। बम विस्फोट बिना किसी को नुकसान पहुँचाए सिर्फ पर...

जन जातीय गौरव और बिरसा मुंडा JanJatiy Gaurav and Birsha Munda

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  आदिवासी अस्मिता और संस्कृति के गौरव, उलगुलान के प्रणेता,धरती आबा भगवान‌ बिरसा मुंडा का 150 वां जन्म जयंती वर्ष शुरु हुआ है।बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875को छतरपुर झारखंड के खूंटी जिले की उलीहातू गांव में हुआ था।उलगुलान बिरसा मुंडा का नारा था। भगवान बिरसा मुंडा देश,समाज और संस्कृति के लिए अपना सर्वस्व समर्पण कर देने वाले महानायक थे।अबुआ दिसुम अबुआ राज। जय जोहार का नारा है भारत देश हमारा है।का नारा देने वाले बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश ईसाई मिशनरियों को चुनौती देने और मुंडा और उरांव समुदाय के साथ हो रहे धर्मांतरण और ब्रिटिश शासन द्वारा जनजाति जीवन शैली व सामाजिक संरचना एवं आदिवासी संस्कृति में हस्तक्षेप करने वाली गतिविधियों के खिलाफ विद्रोह करना शुरू किया। अंग्रेजो ने जब आदिवासियों से उनके जल, जंगल, जमीन को छीनने की कोशिश की तो उलगुलान आंदोलन शुरू हुआ था। इस आन्दोलन का ऐलान करने वाले बिरसा मुंडा ही थे। बिरसा मुंडा को आदिवासी भगवान की तरह पूजते हैं। उनका पूरा जीवन आदिवासी बंधुओं के उत्थान के लिए समर्पित था। अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन के लिए भी उन्होंने आदिवासियों को प्रेरित किया था। ...

क्या है? उत्तराखंड की रजत जयंती पर उपलब्धियां और चुनौतियां? What are the achievements and challenge of Uttarakhand on its silver jubilee?

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 [09/11, 4:27 am] sr8741002@gmail.com: उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती  9 नवम्बर 2025 को उत्तराखंड राज्य अपने स्थापना की रजत जयंती मना रहा है। उत्तराखंड राज्य की स्थापना 9 नवम्बर 2000 को हुआ था।इस अवसर सभी उत्तराखंड आंदोलनकारियों को नमन है, और प्रदेश वासियों को वधाई और शुभकामनाएं उत्तराखंड में पिछले 25 सालों में  कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जिनमें अर्थव्यवस्था में 26 गुना और प्रति व्यक्ति आय में 17 गुना वृद्धि हुई है। बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, सड़कों का जाल बिछाया गया है, और औद्योगिक क्षेत्र में भी विकास हुआ है, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा, साहसिक पर्यटन में वृद्धि, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं में सुधार,और वित्तीय विकास जैसे सकारात्मक बदलाव भी देखे गए हैं।  आर्थिक विकास राज्य की अर्थव्यवस्था में 26 गुना और प्रति व्यक्ति आय में 17 गुना वृद्धि हुई है। राज्य का बजट पहली बार ₹1 लाख करोड़ से अधिक का रहा है। 80,000 नए व्यवसायों की स्थापना हुई है और विनिर्माण क्षेत्र राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग एक-तिहाई का योगदान देता है।  बुनि...

गुरुनानक जी का प्रकाश पर्व 2025 Guru Nanak jayanti 2025

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  गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व या जयंती हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है,क्योंकि प्रचलित धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार इसी दिन उनका जन्म हुआ था।  मुख्य कारण इस प्रकार हैं: जन्म तिथि: भाई बाला जन्मसाखी (Bhai Bala Janamsakhi) के अनुसार, गुरु नानक देव जी का जन्म भारतीय चंद्र कैलेंडर के कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। धार्मिक कैलेंडर: सिख समुदाय में इस तिथि को पारंपरिक हिंदू चंद्र-सौर पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार ही मनाया जाता है, जो सदियों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। प्रकाश पर्व का महत्व: "प्रकाश पर्व" का अर्थ है "प्रकाश का त्योहार", जो गुरु नानक देव जी द्वारा दुनिया में फैलाए गए ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है। इस शुभ दिन पर, सिखों के पहले गुरु ने अज्ञानता का अंधेरा दूर कर मानवता को प्रेम, समानता और सेवा का संदेश दिया। हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका वास्तविक जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था (जो नानकशाही कैलेंडर में एक निश्चित तारीख है), लेकिन सिख परंपराओं में यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गहराई से स्थापित हो चुका है औ...

उत्तराखंड में इगास-बग्वाल का इतिहास क्या है?what is the history of Igas-Bagwal in Uttarakhand?

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  Igass Bagwaal उत्तराखंड में इगास बग्वाल की धूम   इगास बग्वाल केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति का प्रतीक है। इस बार यह 1नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। इस पर्व का उद्देश्य न केवल पुरानी परंपराओं का सम्मान करना है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को जिंदा रखना भी है। इगास की खास परंपरा भैलो खेल इस पर्व का मुख्य आकर्षण है, इस खेल में चीड़ की लकड़ी से बने मशाल जैसे भैलो जलाए जाते हैं और उन्हें घुमाते हुए लोक गीतों और नृत्य का आनंद लिया जाता है,लोग “भैलो रे भैलो,” “काखड़ी को रैलू,” और “उज्यालू ह्वालू अंधेरो भगलू” जैसे पारंपरिक गीत गाते हैं और ‘चांछड़ी’ व ‘झुमेलो’ नृत्य करते हैं। यह पर्यावरण-हितैषी उत्सव है। क्योंकि इसमें पटाखों का उपयोग न के बराबर होता है। आज इगास बग्वाल न केवल उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को संजोता ही नहीं बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने और सामुदायिक एकता का महत्व समझने का भी अवसर देता है,हर साल पहाड़ों में भैलो की रोशनी और लोकगीतों की गूंज से यह पर्व जीवंत हो उठता है। 1-माना जाता है कि प्रभु राम जब 14 साल बाद लंका विजय करके वापस...