गुरुनानक जी का प्रकाश पर्व 2025 Guru Nanak jayanti 2025

 


गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व या जयंती हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है,क्योंकि प्रचलित धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार इसी दिन उनका जन्म हुआ था। 

मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

जन्म तिथि: भाई बाला जन्मसाखी (Bhai Bala Janamsakhi) के अनुसार, गुरु नानक देव जी का जन्म भारतीय चंद्र कैलेंडर के कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि को हुआ था।

धार्मिक कैलेंडर: सिख समुदाय में इस तिथि को पारंपरिक हिंदू चंद्र-सौर पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार ही मनाया जाता है, जो सदियों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है।

प्रकाश पर्व का महत्व: "प्रकाश पर्व" का अर्थ है "प्रकाश का त्योहार", जो गुरु नानक देव जी द्वारा दुनिया में फैलाए गए ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है। इस शुभ दिन पर, सिखों के पहले गुरु ने अज्ञानता का अंधेरा दूर कर मानवता को प्रेम, समानता और सेवा का संदेश दिया। हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका वास्तविक जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था (जो नानकशाही कैलेंडर में एक निश्चित तारीख है), लेकिन सिख परंपराओं में यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गहराई से स्थापित हो चुका है और इसी दिन इसे पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है। गुरु नानक गुरुपर्व -  यह भारत में एक राजपत्रित अवकाश है। उनके जन्मदिवस को  प्रकाश पर्व उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार यह दिवस 5 नवंबर 2025 को है।बचपन से ही गुरु नानक जी आध्यात्मिक विवेक और विचारशील,व्यक्तित्व के थे ।उन्होंने 7 साल की उम्र में ही हिंदी और संस्कृत सीख ली थी 16 साल की उम्र तक आते-आते वह अपने आसपास के राज्य में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और जानकार बन चुके थे।उ उन्होने इस्लाम, ईसाई धर्म, और यहूदी धर्म के शास्त्रों का भी अध्ययन किया। नानक जी की शिक्षा गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद हैं। नानक जी का मानना था कि भगवान का निवास प्रत्येक व्यक्ति के समीप होता है इसलिए हमें धर्म जाति लिंग, राज्य के आधार पर एक दूसरे से द्वेष  नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा अर्पण,कीर्तन सत्संग, और एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर सिख सम्प्रदाय की बुनियादी धारणा है। धार्मिक कट्टरता को कम करने के लिए उन्होंने अपने सिद्धांतों को प्रसारित करने हेतु एक सन्यास की तरह घर छोड़कर चल कर दिये। और

लोगों को सत्य और प्रेम का पाठ पढाना, आरंभ कर दिया।उन्होने  तत्कालीन अंधविश्वास और पाखंड का जमकर विरोध किया।वे हिंदू मुस्लिम एकता की बात करते थे।  धार्मिक सद्भभाव की स्थापना के लिए सभी तीर्थों की यात्रा की। और सभी धर्मों के लोगों को अपना शिष्य बनाया। उन्होंने सभी धर्मों के उपदेशों की अच्छाइयों को संग्रह करके सिक्ख सम्प्रदाय से जोडा। उन्होने 25 वर्ष के भ्रमण किया।लंगर लगाने की परम्परा नानक जी ने ही किया। भ्रमण के दौरान जिन-जिन स्थानों पर वे गये। वहां आज तीर्थ स्थल हैं। उनके जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के रूप मे मनाया जाता है।  उनको साक्षात् ईश्वर के दर्शन हुए। 

उनके सिद्धांत इस प्रकार है। 

1-ईश्वर एक है 

2- सदैव ईश्वर की उपासना करो 

3-जगत का कर्ता सब जगह है। और सब प्राणियों में मौजूद है 

4-सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भी डर नहीं रहता है।

5- ईमानदारी से और मेहनत करके उदर पूर्ति करना चाहिए।

6-गलत कार्य करने के बारे मे न सोचें और न किसी को सतायें। 

7-सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा क्षमाशील रहना चाहिए। 

8-मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमे से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए। 

9-सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं। 

10-भोजन शरीर को ज़िंदा रखने के लिए जरुरी है। परन्तु लोभ- लालच और संग्रहवृत्ति बुरा है।

प्रकाश पर्व गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं का जश्न मनाने का अवसर होता है। जिनके एकता और करुणा के दर्शन ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया।  सिख धर्म को परिभाषित करने वाले शांति, समानता और दयालुता के मूल्यों पर चिंतन करने का अवसर है, सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक गुरु नानक जयंती है, जिसे गुरु पर्व या गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन दस सिख गुरुओं में से पहले और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म की याद में मनाया जाता है।

ब्रिटानिका में उल्लेख है- "ऐसा माना जाता है कि नानक को लगभग 30 वर्ष की आयु में एकरहस्योद्घाटन का अनुभव हुआ था। जन्मसाखी ग्रंथ के अनुसार, वे नदी में नहाते समय गायब हो गए थे और माना जाता है कि वे डूब गए थे। पवित्र ग्रंथों से पता चलता है कि अपने लापता होने के दौरान नानक ने सर्वोच्च सत्ता के साथ संवाद किया, जिसने उन्हें अमरता का अमृत दिया जिससे उन्हें दिव्य नाम का ज्ञान प्राप्त हुआ। माना जाता है कि इस रहस्यमय अनुभव ने उन्हें पारलौकिक वास्तविकता का एक दिव्य दर्शन प्रदान किया।"उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में भारत, तिब्बत और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में व्यापक यात्रा की, अपनी शिक्षाओं का प्रसार किया और आध्यात्मिकता के प्रति अधिक सरल, समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।सिख धर्म गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और विचारों पर आधारित है। उन्होंने सत्य, निष्ठा और निस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित जीवन को बढ़ावा दिया, साथ ही सामाजिक विभाजन और ईश्वर की एकता को भी खारिज किया। सिख धर्म की पवित्र पुस्तक, गुरु ग्रंथ साहिब में उनकी शिक्षाओं का संकलन है, जिसे बाद के गुरुओं ने औपचारिक रूप दिया और विस्तारित किया।उनका दर्शन और सिद्धांत धार्मिक सीमाओं से परे हैं तथा एक ऐसे विश्व के विचार को बढ़ावा देते हैं जो प्रेमपूर्ण, शांतिपूर्ण और निष्पक्ष है।

गुरु नानक जयंती पर सिखों को उनकी शिक्षाओं पर विचार करने और उनके द्वारा बनाए गए मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध होने का मौका मिलता है, जिनमें शामिल हैं।ईमानदारी से जीविकोपार्जन करें (किरत करो)-अपना सर्वश्रेष्ठ काम करें और अनैतिक या शोषणकारी तरीकों से बचें।

भगवान का नाम जपें- भगवान के नाम का चिंतन करें और अपने दैनिक जीवन में आध्यात्मिक मानसिकता बनाए रखें।

वंड छक्को (दूसरों के साथ साझा करें)- जरूरतमंद लोगों को संसाधन देकर और उधार देकर सामुदायिक भावना को बढ़ावा दें।


सभी के लिए आशीर्वाद (सरबत दा भला): गुरु नानक देवी जी ने सार्वभौमिक कल्याण का मूल्य सिखाया, और उन्होंने सभी से सभी लोगों की समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया, चाहे उनका लिंग, जाति या धर्म कुछ भी हो।

सिक्खों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 वि संवत 1526 को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था उनके जन्मदिवस को  प्रकाश पर्व उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार यह दिवस 15नवंबर 2024को है।बचपन से ही गुरु नानक जी आध्यात्मिक विवेक और विचारशील,व्यक्तित्व के थे ।उन्होंने 7 साल की उम्र में ही हिंदी और संस्कृत सीख ली थी 16 साल की उम्र तक आते-आते वह अपने आसपास के राज्य में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और जानकार बन चुके थे।उ उन्होने इस्लाम, ईसाई धर्म, और यहूदी धर्म के शास्त्रों का भी अध्ययन किया। नानक जी की शिक्षा गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद हैं। नानक जी का मानना था कि भगवान का निवास प्रत्येक व्यक्ति के समीप होता है इसलिए हमें धर्म जाति लिंग, राज्य के आधार पर एक दूसरे से द्वेष  नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा अर्पण,कीर्तन सत्संग, और एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर सिख सम्प्रदाय की बुनियादी धारणा है। धार्मिक कट्टरता को कम करने के लिए उन्होंने अपने सिद्धांतों को प्रसारित करने हेतु एक सन्यास की तरह घर छोड़कर चल कर दिये। और

लोगों को सत्य और प्रेम का पाठ पढाना, आरंभ कर दिया।उन्होने  तत्कालीन अंधविश्वास और पाखंड का जमकर विरोध किया।वे हिंदू मुस्लिम एकता की बात करते थे।  धार्मिक सद्भभाव की स्थापना के लिए सभी तीर्थों की यात्रा की। और सभी धर्मों के लोगों को अपना शिष्य बनाया। उन्होंने सभी धर्मों के उपदेशों की अच्छाइयों को संग्रह करके सिक्ख सम्प्रदाय से जोडा। उन्होने 25 वर्ष के भ्रमण किया।लंगर लगाने की परम्परा नानक जी ने ही किया। भ्रमण के दौरान जिन-जिन स्थानों पर वे गये। वहां आज तीर्थ स्थल हैं। उनके जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के रूप मे मनाया जाता है।  उनको साक्षात् ईश्वर के दर्शन हुए। 


उनके सिद्धांत इस प्रकार है। 




1-ईश्वर एक है 




2- सदैव ईश्वर की उपासना करो 




3-जगत का कर्ता सब जगह है। और सब प्राणियों में मौजूद है 




4-सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भी डर नहीं रहता है।


 


5- ईमानदारी से और मेहनत करके उदर पूर्ति करना चाहिए।


 


6-गलत कार्य करने के बारे मे न सोचें और न किसी को सतायें। 




7-सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा क्षमाशील रहना चाहिए। 




8-मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमे से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए। 




9-सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं। 




10-भोजन शरीर को ज़िंदा रखने के लिए जरुरी है। परन्तु लोभ- लालच और संग्रहवृत्ति बुरा है।


 गुरु नानक जयंती 2024-


प्रकाश पर्व गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं का जश्न मनाने का अवसर होता है। जिनके एकता और करुणा के दर्शन ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया।  सिख धर्म को परिभाषित करने वाले शांति, समानता और दयालुता के मूल्यों पर चिंतन करने का अवसर है, सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक गुरु नानक जयंती है, जिसे गुरु पर्व या गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन दस सिख गुरुओं में से पहले और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म की याद में मनाया जाता है।


 ब्रिटानिका में उल्लेख है- "ऐसा माना जाता है कि नानक को लगभग 30 वर्ष की आयु में एकरहस्योद्घाटन का अनुभव हुआ था। जन्मसाखी ग्रंथ के अनुसार, वे नदी में नहाते समय गायब हो गए थे और माना जाता है कि वे डूब गए थे। पवित्र ग्रंथों से पता चलता है कि अपने लापता होने के दौरान नानक ने सर्वोच्च सत्ता के साथ संवाद किया, जिसने उन्हें अमरता का अमृत दिया जिससे उन्हें दिव्य नाम का ज्ञान प्राप्त हुआ। माना जाता है कि इस रहस्यमय अनुभव ने उन्हें पारलौकिक वास्तविकता का एक दिव्य दर्शन प्रदान किया।"उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में भारत, तिब्बत और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में व्यापक यात्रा की, अपनी शिक्षाओं का प्रसार किया और आध्यात्मिकता के प्रति अधिक सरल, समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।सिख धर्म गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और विचारों पर आधारित है। उन्होंने सत्य, निष्ठा और निस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित जीवन को बढ़ावा दिया, साथ ही सामाजिक विभाजन और ईश्वर की एकता को भी खारिज किया। सिख धर्म की पवित्र पुस्तक, गुरु ग्रंथ साहिब में उनकी शिक्षाओं का संकलन है, जिसे बाद के गुरुओं ने औपचारिक रूप दिया और विस्तारित किया।उनका दर्शन और सिद्धांत धार्मिक सीमाओं से परे हैं तथा एक ऐसे विश्व के विचार को बढ़ावा देते हैं जो प्रेमपूर्ण, शांतिपूर्ण और निष्पक्ष है।


गुरु नानक जयंती पर सिखों को उनकी शिक्षाओं पर विचार करने और उनके द्वारा बनाए गए मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध होने का मौका मिलता है, जिनमें शामिल हैं।ईमानदारी से जीविकोपार्जन करें (किरत करो)-अपना सर्वश्रेष्ठ काम करें और अनैतिक या शोषणकारी तरीकों से बचें।


भगवान का नाम जपें- भगवान के नाम का चिंतन करें और अपने दैनिक जीवन में आध्यात्मिक मानसिकता बनाए रखें।


वंड छक्को (दूसरों के साथ साझा करें)- जरूरतमंद लोगों को संसाधन देकर और उधार देकर सामुदायिक भावना को बढ़ावा दें।

सभी के लिए आशीर्वाद (सरबत दा भला): गुरु नानक देवी जी ने सार्वभौमिक कल्याण का मूल्य सिखाया, और उन्होंने सभी से सभी लोगों की समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया, चाहे उनका लिंग, जाति या धर्म कुछ भी हो।






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