क्या है? उत्तराखंड की रजत जयंती पर उपलब्धियां और चुनौतियां? What are the achievements and challenge of Uttarakhand on its silver jubilee?



 [09/11, 4:27 am] sr8741002@gmail.com:

उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती 

9 नवम्बर 2025 को उत्तराखंड राज्य अपने स्थापना की रजत जयंती मना रहा है। उत्तराखंड राज्य की स्थापना 9 नवम्बर 2000 को हुआ था।इस अवसर सभी उत्तराखंड आंदोलनकारियों को नमन है, और प्रदेश वासियों को वधाई और शुभकामनाएं उत्तराखंड में पिछले 25 सालों में  कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जिनमें अर्थव्यवस्था में 26 गुना और प्रति व्यक्ति आय में 17 गुना वृद्धि हुई है। बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, सड़कों का जाल बिछाया गया है, और औद्योगिक क्षेत्र में भी विकास हुआ है, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा, साहसिक पर्यटन में वृद्धि, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं में सुधार,और वित्तीय विकास जैसे सकारात्मक बदलाव भी देखे गए हैं। 



आर्थिक विकास

राज्य की अर्थव्यवस्था में 26 गुना और प्रति व्यक्ति आय में 17 गुना वृद्धि हुई है।

राज्य का बजट पहली बार ₹1 लाख करोड़ से अधिक का रहा है।

80,000 नए व्यवसायों की स्थापना हुई है और विनिर्माण क्षेत्र राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग एक-तिहाई का योगदान देता है। 

बुनियादी ढाँचा

सड़कों का बड़े पैमाने पर निर्माण हुआ है, जिससे कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन जैसी परियोजनाएं राज्य के विकास को गति देंगी।

पेयजल, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जैसे कि सोंग बांध और जमरानी बांध परियोजनाएं। 

उद्योग और रोजगार

राज्य में औद्योगिक इकाइयों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन में ₹3.56 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिनमें से ₹1 लाख करोड़ से अधिक के निवेश पर काम शुरू हो चुका है।

देहरादून और अन्य शहरों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, जिससे युवाओं को पलायन करने के बजाय यहीं काम मिल रहा है। 

पर्यटन और अन्य क्षेत्र

साहसिक पर्यटन (राफ्टिंग, बंजी जंपिंग आदि) और धार्मिक पर्यटन (मानसखंड मंदिर माला मिशन) दोनों में वृद्धि हुई है।

स्वास्थ्य सुविधाओं में भी सुधार हुआ है, जिससे अब लोगों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ता है।

स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में भी प्रगति हुई है, जैसे कि 58 लाख आयुष्मान कार्ड वितरित किए गए हैं और वृद्धावस्था पेंशन को बढ़ाकर ₹1500 कर दिया गया है।  

उत्तराखंड के लिए चुनौतियां

विकास के बावजूद, अभी भी कुछ चुनौतियाँ मौजूद हैं, जैसे कि पलायन को पूरी तरह से रोकना और पहाड़ी क्षेत्रों में विकास को और गति देना।

हाल ही में एक नया भूमि कानून पारित किया गया है जो पर्वतीय क्षेत्रों में गैर-मूल निवासियों द्वारा भूमि की खरीद पर प्रतिबंध लगाता है, जिसका उद्देश्य कृषि और बागवानी भूमि की अंधाधुंध बिक्री को रोकना है।

[09/11, 4:33 am] sr8741002@gmail.com: उत्तराखंड में पलायन की दर लगातार बनी हुई है, हालांकि स्थायी और अस्थायी पलायन की दर में अंतर है। 2018 और 2022 के बीच, 3,07,310 लोगों ने अस्थायी रूप से पलायन किया, और 28,531 लोगों ने स्थायी पलायन किया। कई गांवों में पलायन के कारण लोग अब वहां बसने लगे हैं। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने कुछ उपाय भी किए हैं। 

पलायन के आंकड़े

स्थायी पलायन: 2022 में 2,067 गांवों से 28,531 लोगों ने स्थायी रूप से पलायन किया।

अस्थायी पलायन: 2018 और 2022 के बीच, 30,73,101 लोगों ने अस्थायी रूप से पलायन किया है।

निर्जन गांव: 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 1,792 गांवों में से 734 गांव निर्जन हो चुके हैं। 

पलायन के कारण

रोजगार की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी पलायन का एक प्रमुख कारण है, क्योंकि लोग बेहतर नौकरी के अवसरों की तलाश में शहरों की ओर जाते हैं।

खराब कृषि: अनियमित बारिश के कारण खेती में भारी नुकसान और सरकार से मुआवजे की कमी के कारण किसान अपनी खेती छोड़कर शहरों की ओर चले जाते हैं।

शिक्षा और बुनियादी ढांचे की कमी: गांवों में शिक्षा और अन्य सामाजिक सुविधाओं की कमी के कारण, खासकर युवा आबादी, पलायन करती है।

आर्थिक कारक: ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय में कमी और आय के सीमित साधनों की वजह से लोग आजीविका के लिए शहरों की ओर जाते हैं। 

उत्तराखंड में पलायन रोकने हेतु सरकार के प्रयास-

रिवर्स पलायन: सरकार रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने और उन लोगों को वापस गांव में बसने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रही है जो पहले पलायन कर गए थे।

मॉडल गांव: सरकार पलायन को रोकने के लिए 100 गांवों को मॉडल गांवों में बदलने की योजना बना रही है, जहां मूलभूत सुविधाएं और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।

विविध योजनाएं: सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न विभागों की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

स्वरोजगार: सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने और लोगों को गांव में रहने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास कर रही है।


पलायन रोकने हेतु सुझाव -सरकार पहाड़ी गांवों से पलायन रोकने के लिए पहाड़ी कृषि,और बागवानी को जैविक खेती हेतु प्रोत्साहित कर सकती है,बंजर पड़े खेतों को आबाद और रोजगारपरक बनाने हेतु,प्रत्येक ग्राम स्तर पर मनरेगा जैसे योजनाओं को सीधे तोर पर कृषि और बागवानी पर केन्द्रित कर सकती है,इस हेतु प्रत्येक परिवार को अपने खेतों को आबाद और बागवानी हेतु कार्य करवाना, प्रत्येक परिवार अपने खेतों को आबाद करें और बागवानी को बढ़ाये,इस हेतु ग्राम सभा प्रधान की देख- रेख में स्थानीय वासियों की टोली बनाकर जैविक कृषि और बागवानी को केन्द्रित करना,नगदी फसलों मिर्च,हल्दी,अदरक,गहत, पहाड़ी दालें,मंडुवा,झंगोरा,मक्का जैसे फसलों को उगाने हेतु प्रोत्साहित करना, प्रोत्साहन हेतु ग्राम स्तर की सरकारी विकास योजनाओं को मुख्य रूप से कृषि और बागवानी पर ही केन्द्रित करना होगा।और यह प्रयास भविष्य के लिए पलायन पर रोकथाम और स्वरोजगार को बढ़ावा दे सकता है , कृषि, बागवानी के साथ-साथ मौन पालन, भेड़,बकरी,और बद्री गाय पालन जरूरी है,साथ ही कृषि और बागवानी को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों से बचाव करना भी जरूरी है,आज यह कदम उठाना जरूरी है,ताकि पहाड़ों से पलायन को रोका जा सके,और पहाड़ों पर ही स्वरोजगार बढ़ावा मिल सके।


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