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Showing posts from October, 2025

RSS के स्वयंसेवक पथ संचलनों और कार्यक्रमों को गणवेश पहनकर क्यों करते है? Why do RSS volunteers were uniforms while attending marches and programmes?

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 [ sr8741002@gmail.com: गणवेश सिर्फ वस्त्र नहीं है यह विचार है जब स्वयंसेवक संघ का गणवेश पहनता है  तो वह केवल कपड़े नहीं बदलता बल्कि वह अपने जीवन का उद्देश्य चुनता है।गणवेश पहनने से हमें यह याद रहता है कि हम व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक सेवा के पथ पर है, यह अनुशासन एकता और समर्पण का प्रतीक है,यह हर शाखा में एक समानता की भावना हो जगाता है जाति, वर्ग भाषा से ऊपर उठकर केवल राष्ट्र के लिए खड़ा होता है, यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने छोटे स्वार्थो से ऊपर उठकर देश और समाज के लिए कार्य करें, गणवेश पहनने का मतलब है सेवा का संकल्प लेना, यह हर दिन  याद दिलाता है कि हम केवल दर्शक नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण के सक्रिय भागीदार है,संघ का  गणवेश एक साधना है जो शाखा में,हर प्रणाम में,  हर कदम में जीवंत होती है।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लिए गणवेश महत्वपूर्ण होने के कई कारण हैं, जो संगठन के मूल्यों और कार्यप्रणाली से जुड़े हैं:  समानता और एकता: गणवेश सभी स्वयंसेवकों को एक समान स्तर पर लाता है, जिससे जाति, वर्ग, आर्थिक स्थिति या सामाजिक पृष्ठभूमि के भेद स...

RSS के शताब्दी वर्ष में भारत सरकार ने सिक्का और डाक टिकट जारी क्यों किया? Why did the Government of India issue coins and postage stamps in the century years of RSS?

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  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह को संबोधित किया,प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के प्रति आरएसएस के योगदान को रेखांकित करते हुए विशेष रूप से डिजाइन किया गया स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया,एक शताब्दी पहले हुई आरएसएस की स्थापना राष्ट्रीय चेतना की स्थायी भावना दर्शाती है, जो हर युग की चुनौतियों का सामना करने के लिए उभरी है, मैं परम पूज्य डॉ. हेडगेवार जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं,आरएसएस के स्वयंसेवक राष्ट्र की सेवा और समाज को सशक्त बनाने के लिए अथक रूप से समर्पित रहे हैं,आज जारी किया गया स्मारक टिकट एक श्रद्धांजलि है, जो 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में गर्व से मार्च करने वाले आरएसएस स्वयंसेवकों का स्मरण कराता है,अपनी स्थापना से ही आरएसएस राष्ट्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता रहा है, आरएसएस की शाखा प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत है, जहां 'मैं' से 'हम' की यात्रा आरंभ होती है, आरएसएस के एक शताब्दी के कार्य की नींव राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य, व्यक्तिगत विकास के एक स्पष्ट मार्ग और शाखा की गतिशील कार्यप्रणाली पर टिकी हुई है, आरएसएस ने ...

RSS के शताब्दी वर्ष में कौन से कार्यक्रम होंगे?Programs in RSSsCenten

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  संघ शताब्दी वर्ष :- संघ का शताब्दी वर्ष एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसमें संघ स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं।संघ की स्थापना 27 सितम्बर 1925 को डा बलिराम हेडगेवार जी ने नागपुर से की थी। शताब्दी वर्ष में संघ अपने  कार्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय पुनर्जागरण का लक्ष्य लेकर चल रहा है। बेंगलुरु (23 मार्च, 2025)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के अंतिम दिन मीडिया से बातचीत के दौरान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने  कहा  संघ देश के कोने-कोने तक पहुंचने में सफल रहा है। संघ न केवल राष्ट्र को एकजुट करने का काम करता है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तथा उसके बाद राहत एवं पुनर्वास कार्यों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहा है। इस वर्ष विजयादशमी के दिन संघ के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। जैसा कि पहले बताया जा चुका है, आने वाला वर्ष संघ कार्य के विस्तार तथा सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित होगा। संघ का उद्देश्य इस उपलब्धि का उत्सव मनाना नहीं है, बल्कि  1- आत्मचिंतन करना 2- संघ कार्य के लिए समाज द्वारा दिए समर्थन के लिए आभार प्रकट करन...