भारत कैसे बना विश्व की चौथीं बड़ी अर्थव्यवस्था? World's 4th Largest Economy
[26/05, 8:24 pm] sr8741002@gmail.com: भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जापान को पीछे छोड़ा,भारत 2028 तक जर्मनी को पछाड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचेगा,
भारत आधिकारिक तौर पर जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। नीति आयोग के CEO बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने 24 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। भारत ने यह उपलब्धि अपनी इकोनॉमिक पॉलिसी के कारण हासिल की है।इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF के आंकड़ों का हवाला देते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा, "हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हम 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं।आज भारत जापान से बड़ा है। अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से बड़े हैं।नीति आयोग के CEO ने ये भी कहा कि अगर हम अपनी योजना और सोच-विचार पर टिके रहे, तो 2.5-3 साल में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के CEO सुब्रह्मण्यम ने भारतीय इकोनॉमी के चौथे नंबर पर पहुंचने की जानकारी दी,IMF की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की नॉमिनल जीडीपी 4.187 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो जापान की अनुमानित जीडीपी 4.186 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ा ज्यादा है,
भारत की यह उपलब्धि मजबूत घरेलू मांग, अनुकूल जनसांख्यिकीय रुझानों और नीतिगत सुधारों के कारण है। भारत की अर्थव्यवस्था 6-7% की वार्षिक ग्रोथ रेट बनाए हुए है, जबकि जापान की अर्थव्यवस्था को ग्लोबल ट्रेड टेंशन और पॉलिसी चेंज के कारण नुकसान हुआ है, भारत का चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना ग्लोबल लेवल पर कई प्रभाव डालेगा,
वैश्विक प्रभाव में बढ़ोतरी- भारत का अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे G20 और IMF में प्रभाव बढ़ेगा।
इन्वेस्टमेंट हब: भारत में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) में और वृद्धि होगी, क्योंकि ग्लोबल कंपनियां भारत को एक आकर्षक बाजार के रूप में देख रही हैं।
क्षेत्रीय स्थिरता: भारत और जापान के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी, जैसे चंद्रयान-5 और सैन्य सहयोग, भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देगी।
इकोनॉमिक लीडरशिप: भारत इस उपलब्धि के बाद ग्लोबल इकोनॉमिक लीडरशिप की दिशा में और करीब आ गया है। भारत अगर 2028 तक जर्मनी को पीछे छोड़ देता है तो लीडरशिप और मजबूत होगी, जापान की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है,लो ग्रोथ रेट: IMF के अनुमान के अनुसार, 2025 में जापान की जीडीपी ग्रोथ रेट केवल 0.3% रहने की उम्मीद है, जो भारत की 6.5% की तुलना में बहुत कम है।
जनसांख्यिकीय संकट: जापान की उम्रदराज आबादी और लो बर्थ रेट ने लेबर फोर्स को सीमित कर दिया है।
ग्लोबल ट्रेड टेंशन्स: अमेरिका और अन्य देशों द्वारा लगाए गए टैरिफ और व्यापार नीतियों ने जापान की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है,
आर्थिक स्थिरता की कमी: जापान की अर्थव्यवस्था कई दशकों से स्थिरता के लिए संघर्ष कर रही है, जिसके कारण वह भारत जैसे तेजी से बढ़ते देशों से पिछड़ गया है।
भारत IMF और अन्य वैश्विक संस्थानों के अनुमानों के अनुसार, यदि भारत की वर्तमान वृद्धि दर बनी रहती है, तो 2028 तक भारत जर्मनी (4.9 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी) को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
भारत की जीडीपी 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2028 तक 5.58 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसके बाद केवल अमेरिका (30.57 ट्रिलियन डॉलर) और चीन (19.231 ट्रिलियन डॉलर) ही भारत से आगे रहेंगे। भारत की आर्थिक प्रगति का आम लोगों पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है
रोजगार के अवसर- तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से नए रोजगार सृजित होंगे, खासकर तकनीक, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में।
बेहतर जीवन स्तर- बढ़ती जीडीपी और निवेश से इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार होगा,
कंज्यूमर पावर-बढ़ती आय और मध्यम वर्ग के विस्तार से उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ेगी,
चुनौतियां- आय का असमान डिस्ट्रीब्यूशन और महंगाई जैसी चुनौतियां बनी रह सकती हैं,
[26/05, 8:31 pm] sr8741002@gmail.com: भारत के दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते ही रुपया ने भरी उड़ान! सोमवार को रुपया 40 पैसे मजबूत होकर 85.05 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। रुपये में आई इस छलांग के पीछे विदेशी निवेशकों की संख्या में वृद्धि के साथ ही आरबीआई द्वारा सरकार के लिए घोषित किए गए डिविडेंड को भी माना जा रहा है।
भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। देश के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है कि उसने जापान को पीछे छोड़कर यह मुकाम हासिल किया। इसके बाद डॉलर के मुकाबले रुपये में उछाल दर्ज हो रहा है। आज रुपये में 40 पैसे का उछाल दर्ज हुआ है। भारतीय रुपये ने भी वैश्विक बाजार में शानदार प्रदर्शन किया है और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाई है।भारतीय अर्थव्यवस्था की नई उपलब्धि
सोमवार को रुपया 40 पैसे मजबूत होकर 85.05 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। रुपये में आई इस छलांग के पीछे विदेशी निवेशकों की संख्या में वृद्धि के साथ ही आरबीआई द्वारा सरकार के लिए घोषित किए गए डिविडेंड को भी माना जा रहा है।
रुपये में मजबूती के प्रमुख कारण
भारत का दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बनना एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। भारत की जीडीपी का 4 ट्रिलियन डॉलर को पार करना वैश्विक निवेशकों के बीच विश्वास बढ़ाने वाला कारक रहा है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी रुपये में आई तेजी के पीछे का एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारतीय परिसंपत्तियों में बढ़ती रुचि ने रुपये को मजबूती दी है।
आरबीआई द्वारा सरकार के लिए घोषित किए गए डिविडेंड को भी रुपये में वृद्धि के पीछे का एक कारण माना जा रहा है।
रुपये को स्थिर रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार का प्रभावी उपयोग किया है।
रुपये की मजबूती का बाजार पर असर
हाल ही के महीनों में वैश्विक अनिश्चितताओं जैसे डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़, भारत पाक तनाव के कारण बाजार में कुछ अस्थिरता उत्पन्न हुई थी। भारत की दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की खबर और रुपये की मजबूती से भारतीय शेयर बाजार में भी सकारात्मक रुझान देखने को मिल रहा है।
26 मई 2025 को एक अमेरिकी डॉलर की कीमत भारतीय रुपये में 85 रुपये के आसपास है। जो रुपये की मजबूती को दर्शाता है।