विश्वभर में क्यों फैलाता जा रहा है सनातन धर्म?
[20/05, 8:15 pm] Sanjay Rawat -2: सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है, दुनिया भर में फैलाता जा रहा है। यह भारत और नेपाल में सबसे अधिक संख्या में है, लेकिन अन्य देशों में भी सनातन हिंदू समुदायफैलता जा रहा हैं, खासकर दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, कैरिबियन, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ओशिनिया और अफ्रीका आदि देशों में,
दक्षिण एशिया:
भारत में सबसे अधिक हिंदू हैं, उसके बाद नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में भी महत्वपूर्ण हिंदू आबादी है.
दक्षिण पूर्व एशिया:
इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम और कंबोडिया जैसे देशों में भी हिंदू धर्म का प्रभाव है।
अन्य देशों में:
मॉरीशस, कैरिबियन, उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ओशिनिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में भी हिंदू समुदाय मौजूद हैं,
वैश्विक रूप से:
हिंदू धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, जिसके लगभग 1.2 बिलियन अनुयायी हैं, जो वैश्विक आबादी का लगभग 15% है।
[20/05, 8:16 pm] Sanjay Rawat - पहले
पूर्ण रूप से सनातन धर्म खासकर वर्तमान भारत ,नेपाल ,श्रीलंका ,अफगानिस्तान ,वर्तमान पाकिस्तान,वर्तमान बांग्लादेश ,वर्तमान म्यांमार ,थाईलैंड ,कम्बोडिया ,वियतनाम ,इंडोनेशिया, आदि देशो में हिन्दू/सनातन के मानने वाले थे। (वैदिक,शैव,वैष्णव,शाक्त,जैन,बौद्ध)धर्म व संस्कृति फैली हुई थी,
[20/05, 8:31 pm] sr8741002@gmail.com: आज के समय मे सनातन धर्म के मूलतत्वों सत्य,अहिंसा,दया,क्षमा,दान,जप,तप,यम-नियम आदि के ब्यवहार पर हिंदू धर्म के प्रति विदेशी लोग बहुत प्रभावित हो रहे हैं।क्योंकि सनातन हिंदू धर्म का अपना एक अलग ही महत्व है, हिंदू धर्म में कुटुंब के प्रति वफादारी बचपन से ही सिखाई जाती है। भारत में आज भी संयुक्त परिवार की प्रथा प्रचलन में है, जिससे बच्चे अपने बचपन से ही अपने माता-पिता,और समाज की सेवा करने के संस्कार को सीखते हैं। और उन्हें पूरे जीवन भर अपने साथ रखने का संकल्प लेते हैं। विश्व में कुछ अन्य धर्मों में बच्चों को बचपन में ही कट्टरता सिखाई जाती है। एवं केवल अपने धर्म को ही सर्वश्रेष्ठ धर्म के रूप में पेश किया जाता है। इससे इन बच्चों में अन्य धर्म के प्रति सहिष्णु की भावना विकसित नहीं हो पाती है। कई बार तो अन्य धर्म को मानने वाले नागरिकों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें अपना धर्म मानने को मजबूर किया जाता है। इसके ठीक विपरीत सनातन हिंदू धर्म किसी अन्य धर्म को मानने वाले व्यक्ति पर कभी भी कोई दबाव नहीं डालता है। सनातन हिंदू संस्कृति अन्य धर्म के नागरिकों को किसी प्रकार के धर्म को मानने की खुली स्वतंत्रता प्रदान करती है। ऐसा कहा जाता है कि जब इस दुनिया में कोई भी धर्म नहीं था। तब इस धरा पर निवास करने वाले लोग केवल सनातन हिंदू धर्म का ही पालन करते थे, सनातन हिंदू धर्म बहुत ही संयमित धर्म है।
जो किसी अन्य धर्म की ना तो उपेक्षा करता है और ना ही वह अपने धर्म को सबके सामने रखने का प्रयास करता है। इसी कारण से कट्टरता के इस माहौल में आज पूरे विश्व में सनातन, हिंदू धर्म के प्रति लोगों की आस्था एवं रुचि बढ़ती जा रही है। सनातन हिंदू धर्म आज विश्व में तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। और भारत में अधिकतर लोग इस धर्म को मानते हैं। एक अनुमान के अनुसार सनातन हिंदू धर्म इस पृथ्वी पर 10000 वर्षों से हैं। लेकिन यदि वेदों और अपने उपनिषदों में लिखी बातों को माने तो सनातन हिंदू धर्म की उत्पत्ति लाखों वर्ष पहले हुई थी। उसे उस समय से ही सनातन धर्म के नाम से जाना जाता था। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग भारत में रहते थे। इस धर्म को बहुत प्रभावशाली माना गया है। जबकि विश्व मे अन्य कुछ धर्मो के संस्थापक रहे हैं। जैसे ईसाई धर्म के संस्थापक के रूप में प्रभु यीशु को माना जाता है। तथा इस्लाम धर्म के लिए मोहम्मद साहिब को संस्थापक माना जाता है।और बौद्ध धर्म के लिए गौतम बुद्ध को संस्थापक माना जाता है। परंतु हिंदू धर्म के बारे में कहा जाता है कि कुछ संतों एवं महापुरुषों ने एक होकर जीवन को सही तरीके से जीने और व्यतीत करने का तरीका विकसित किया था।
सनातन हिंदू संस्कृति कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका/पद्धति को माना जाता है। सनातन धर्म का यह मानना है कि प्रभु परमात्मा ने इस धरा पर सबको खुलकर हंसने उत्साह मनाने और मनोरंजन करने की योग्यता दी है। यही कारण है कि सनातन हिंदू धर्म में सबसे अधिक त्योहार और संस्कार होते हैं। उत्सव जीवन में सकारात्मक संदेश लेकर आते हैं। और हमारे संस्कार मिलन,सहिष्णुता,बसुधैवकुटुम्बकम को मानते हैं। सनातन हिंदू धर्म की यही प्रक्रिया को दुनिया पसंद करती है। तभी तो ब्रिज की होली और कुंभ के मेले का अवलोकन करने के लिए पूरी दुनिया से लोग भारत में आते हैं। यही एक कारण है कि आज पूरी दुनिया के कोने-कोने से लोग हिंदू धर्म में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के अनुसार आबादी के लिहाज से दुनिया मे तीसरे सबसे बड़े देश अमेरिका में सनातन को अपनाने वालों की जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। और हिंदू वहां राजनीतिक रूप से भी सक्रिय हो रहे हैं।
इसके अलावा विश्व के अन्य देशों मे योग और ज्ञान की ओर लोगों का आकर्षण बहुत बढ़ गया है। योग और ज्ञान विश्व को सनातन हिंदू धर्म की ही देन है। सनातन हिंदू धर्म बिल्कुल ही कट्टरपंथी धर्म नहीं है अन्य धर्म की तरह इसमें किसी भी प्रकार का सामाजिक दबाव नहीं है। इस धर्म में धार्मिक शिक्षा के लिए कोई भी जोर जबरदस्ती नहीं है। हिंदू धर्म मानता है कि शिक्षा सभी तरह की होनी चाहिए केवल धार्मिक आधार पर शिक्षा देना उचित नहीं है किसी भी बच्चे की शिक्षा में अगर संस्कार जुड़ जाए तो वह बच्चा बड़ा होकर एक जिम्मेदार नागरिक बनता है।और वह एक अच्छा इंसान बनता है। सनातन हिंदू धर्म में परोपकर की भावना होती है।
अन्य धर्म की तरह यह केवल अपने बच्चों के बारे में नहीं सोचता है। इंडोनेशियन जो की एक मुस्लिम बहुल देश है वहां पर सनातन हिंदू धर्म से जुड़े संस्कार आज भी पाए जाते हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि यह देश सनातन और हिंदू धर्म से कितना प्रभावित है, मुस्लिम बहुल देश होने के बावजूद हिंदू धर्म का बहुत बड़ा प्रभाव यहां आज भी दिखाई देता है।
मुस्लिम लोग भी अपना नाम हिंदू देवी देवताओं के नाम पर रखना पसंद करते हैं। सनातन हिंदू धर्म कभी भी किसी नागरिक पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डालता है। सनातन हिंदू धर्म कभी भी किसी को लालच नहीं देता है। और ना ही धर्म परिवर्तन नहीं करवाता है। परंतु आज प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व में बहुत से लोग अन्य धर्म को छोड़कर स्वप्रेरणा से से हिंदू धर्म अपना रहे हैं। सनातन हिंदू धर्म में स्त्रियों को जितना सम्मान दिया जाता है उतना किसी भी अन्य धर्म में नहीं दिया जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में स्त्रियों की पूजा की जाती है। सनातन हिंदू धर्म में आस्था का मतलब है कि जीवन में उमंग उत्साह,उल्लास और मानवता की ओर झुकाव,जहां भारत में सनातन हिंदू धर्म को मिटाने की नाकाम कोशिश की जाती है, वहीं रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, जैसे देशों में हिंदू धर्म तेज से फैल रहा है। सनातन हिंदू धर्म पूरी दुनिया को शांँति का संदेश देता है। कई देशों में तो आज सनातन हिंदू संस्कारों का अनुपालन करते हुए विशेष गांव स्थापित किये जा रहे हैं। आयरलैंड में 22 एकड़ का एक हिंदू आइलैंड बन गया है। इसे हरे कृष्णा आयरलैंड का नाम दिया गया। वहां निवासरत समस्त नागरिकों द्वारा सनातन हिंदू धर्म के प्राचीन रीतिरिवाजों का पालन बहुत ही सहजता के साथ किया जाता है। सनातन हिंदू धर्म के वैदिक नियमों को सदा सदा के लिए जीवित रखने के लिए वहाँ पर रहने वाले सनातनी हिंदू शाकाहारी भोजन को ही ग्रहण करते हैं।नशीले पदार्थ, बीडी़ एवं सिगरेट आदि पदार्थों से भी दूर रहते हैं। सुबह एवं शाम मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। उनका जीवन सादगी भरा रहता है। तथा कृषि एवं गाय पालन करते हुए अपना जीवन यापन करते हैं। महिलाएं साड़ी पहनती हैं एवं पुरुष धोती कुर्ता धारण करते हैं।
इसी प्रकार के गांव जहां हिंदू सनातन संस्कृति का अनुपालन किया जाता है अन्य कईदेशशों मे भी हैं।जैसे घाना, फिजियो अन्य कयी अफ्रीकी देशों में, अमेरिका यूरोप के देशों मे सनातन तेजी से फैलता जा रहा है। इसी प्रकार कजाकिस्तान एक मुस्लिम देश है क्योंकि वहां की 65% से अधिक आबादी इस्लाम को मानने वालों लोगों की है परंतु हाल ही के समय में यहां भी एक बड़ा बदलाव देखने मे आ रहा है।यहां के नागरिक सनातन हिंदू धर्म के प्रति आकर्षित होते दिखाई दे रहे हैं।यहां सनातन हिंदू धर्म की लहर इतनी तेज से उठी है कि हर तरफ हिंदू धर्म की आस्था एवं आध्यात्मिक का फैलाव दिखाई दे रहा है।यहां के युवा विशेष रूप से भागवत गीता पढ़ने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। और हिंदू धर्म को समझने का प्रयास कर रहे हैं।
सनातन धर्म का मूल मंत्र "ॐ" (ओम्) है। इसे प्रणव मंत्र भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है "वह जो अनवरत गूंजता रहता है"। ॐ शब्द ब्रह्मांडीय ऊर्जा और सृष्टि का प्रतीक है, जो केवल एक शब्द नहीं, बल्कि पूरी सृष्टि का सार है।
ॐ का महत्व:
ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक:
ॐ को ब्रह्मांडीय ऊर्जा और सृष्टि का प्रतीक माना जाता है।
सृष्टि का सार:
यह केवल एक शब्द नहीं, बल्कि पूरी सृष्टि का सार है।
प्रणव मंत्र:
ॐ को प्रणव मंत्र भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है "वह जो अनवरत गूंजता रहता है"।
ॐ के अलग-अलग भाग:
अ (अकार):
यह सृष्टि का आरंभ और ब्रह्मा का प्रतीक है।
उ (उकार):
यह पालन और विष्णु का प्रतीक है।
म (मकार):
यह संहार और महादेव (शिव) का प्रतीक है।
ॐ का उपयोग:
ॐ का उपयोग विभिन्न मंत्रों और प्रार्थनाओं की शुरुआत में किया जाता है।
ॐ का जाप ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है।
अन्य महत्वपूर्ण मंत्र:
गायत्री मंत्र:
"ॐ भूर् भुवः स्वः, तत् सवितुर वरेण्यं | भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात् ||"
अहं ब्रह्मास्मि और तत्वमसि:
यह श्लोक ईश्वर, आत्मा और मोक्ष के बारे में ज्ञान देता है।
सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित दुःखभाग् भवेत।।
की भावना को लेकर आज पूरे विश्व मे सनातन तेजी से फैलता जा रहा है।