भारत का रक्षा निर्यात 34 गुना कैसे बढ़ा है?How India Increased Defence Export?
[28/05, 4:51 am] sr8741002@gmail.com:
आज भारत पूरे विश्व में अपनी रक्षा प्रणाली को बेच रहा है, भारत ने मेक इन इंडिया के तहत अपने स्वदेशी हथियारों के उत्पादन में उच्च गुणवत्ता के साथ विश्व को भारत के रक्षा हथियारों की खरीद को आकर्षित किया है। भारत का लक्ष्य,साल 2025 -26 तक 30000 करोड़ रुपये तक रक्षा निर्यात करना है, आपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी इंडियन मिसाइलों की डिमांड
India Defence Export Increased: ऑपरेशन सिंदूर के बाद से मार्केट में भारतीय मिसाइलों और राइफलों की डिमांड बढ़ी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि साल 2024-25 में भारत ने 23,622 करोड़ रुपयों के उत्पादों का निर्यात किया है। भारत का अगला लक्ष्य 2026 तक ये निर्यात बढ़कर 30,000 करोड़ तक बढ़ाना है, पिछले 11 सालों में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट पहली बार अपने उच्च स्तर पर पहुंचा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया ने भारत का दमखम देखा है। पिछले 1 दशक में भारत का रक्षा निर्यात 34 गुना बढ़ गया है, जो साल 2014 में 686 करोड़ रुपये से बढ़कर साल 2025 में 23,622 करोड़ रुपये हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाने, लाइसेंस व्यवस्था से भागों और घटकों को हटाने के साथ-साथ उपकरणों के निर्यात के नियमों को आसान बनाने जैसी नीतियों ने भारत को रक्षा उपकरणों के निर्यात को बढ़ाने में मदद की है।
रक्षा मंत्री ने दी जानकारी
इस बारे में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर कर इस बारे में बताया कि भारत को निर्यात में तेज गति से प्रगति मिली है, जो देश की रक्षा प्रणाली के बारे में बताती है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों को भी लाभ हुआ है। अब भारतीय कंपनियां भी ग्लोबल लेवल पर बड़े पैमाने पर काम करेंगी और मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रही है,साल 2026 में 30000 करोड़ का निर्यात
रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर कई नए हब स्थापित करने वाली है और भारत वैश्विक कंपनियों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। कई विदेशी कंपनियां भी अपनी तकनीक भारतीय कंपनियों के साथ साझा करने और देने को तैयार है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग 80 देशों को भारत निर्मित गोला-बारूद, हथियार, सिस्टम/सब-सिस्टम और उनके पुर्जे जैसे कई डिफेंस आइटम निर्यात किए हैं। सरकार अब 2026 तक सालाना 30,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात करने का लक्ष्य तय करेगी। और 50000 करोड़ का लक्ष्य 2029 तक होगा पूरा,रक्षा मंत्रालय ने अप्रैल में अपने बयान में यह भी बताया है कि भारत अब एक ऐसा सैन्य बल बन गया है जो पहले बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर था, लेकिन अब आत्मनिर्भरता और स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर ज्यादा जोर दे रहा है। इस तरह भारत साल 2029 तक 50,000 करोड़ का लक्ष्य पूरा करेगा।
बाहरी खरीदारों का आकर्षण बनी भारतीय मिसाइलें
DRDO के पूर्व निदेशक रवि गुप्ता बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में युद्ध की नीतियां आधुनिक हो गई हैं। भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से युद्ध होंगे। भारत की मिसाइलों ने आधुनिकिकरण के साथ-साथ भविष्य के लिए भी हर तकनीक में महारत हासिल कर ली है। हमारी सिर्फ ब्रह्मोस नहीं, अन्य बैलिस्टिक मिसाइलें जैसे के 4, के 15, आर्टिलरी गन और तकनीक से लैस राइफलें भी बाहरी खरीदारों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।
वैश्विक बाजारों में बढ़ी भारत की मांग
रक्षा मंत्रालय के अप्रैल के बयान में कहा गया था कि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSU) ने साल 2025 में अपने निर्यात में 42.9% की वृद्धि दिखाई, जो वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की बढ़ती मान्यता को दर्शाता है।
आत्मनिर्भर देश की ओर भारत
बढ़ते रक्षा निर्यात से एक बात की ओर और इशारा मिल रहा है, वह यह है कि अब हमारा देश निर्यात के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। भारतीय रक्षा उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता और तकनीक ने खरीदारों को आकर्षित किया है।
[28/05, 4:55 am] sr8741002@gmail.com: भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो 2014-15 से 174% की वृद्धि दर्शाता है, जो मेक इन इंडिया जिसमें 100 से अधिक देशों को निर्यात किया गया। Mar 2025
[28/05, 4:56 am] sr8741002@gmail.com: भारत में रक्षा उत्पादन में विभिन्न प्रकार के हथियार, उपकरण और सिस्टम शामिल हैं,
जिनमें से कुछ प्रमुख हैं: मिसाइल प्रणाली, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, टैंक, रडार, सैन्य वाहन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और अन्य हथियार प्रणाली,भारत स्वदेशी रूप से इन वस्तुओं का उत्पादन करता है और साथ ही अन्य देशों को भी निर्यात करता है,
रक्षा उत्पादन में शामिल प्रमुख क्षेत्र:
विमान:
लड़ाकू विमान (जैसे तेजस), परिवहन विमान, हेलीकॉप्टर.
नौसेना:
युद्धपोत (जैसे मिसाइल विध्वंसक), पनडुब्बियां, गश्ती जहाज.
थल सेना:
टैंक, तोप, रडार, सैन्य वाहन, बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट.
मिसाइल प्रणाली:
विभिन्न प्रकार की मिसाइल प्रणाली.
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली:
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, रडार.
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता:
भारत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए "मेक इन इंडिया" पहल जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है. इससे रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिला है और रक्षा निर्यात भी बढ़ा है,
रक्षा उत्पादन के प्रमुख सरकारी उपक्रम:
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL).
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL).
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL).
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDSL).
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स और इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE).
गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL).
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO).
रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भूमिका:
निजी क्षेत्र भी रक्षा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देता है,
भारत का रक्षा उत्पादन एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के हथियार, उपकरण और सिस्टम का उत्पादन करता है और भारत को एक मजबूत रक्षा शक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है,