17सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है विश्वकर्मा पूजा दिवस? Why is Vishwakarma Puja Day Celebrated Only on 17 September?
विश्वकर्मा पूजा हर वर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है। यह उत्सव प्रायः मुख्य तौर पर विश्वकर्मा के पांच पुत्रों मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और देवज्ञ की संतानों द्वारा मनाया जाता है। यह कारखानों एवं औद्योगिक क्षेत्रों, वास्तुकला केन्द्रो आदि पर विशेष रूप से मनाया जाता है विश्वकर्मा को विश्व का निर्माता तथा देवताओं का वास्तुकार माना जाता है। भारत चंद्र और सौर दोनों कैलेंडरों का पालन करता है। चंद्र कैलेंडर पर आधारित अधिकांश हिंदू त्योहार इसी श्रेणी में आते हैं, जैसे दीपावली, दुर्गा पूजा नवरात्रि ,होली, आदि जो चन्द्र कैलेंडर के अनुसार अलग-अलग तिथियां पर आते हैं। विश्वकर्मा पूजा और मकर संक्रांति जो सौर कैलेंडर पर आधारित है। और इसलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर जो स्वयं एक सौर कैलेंडर है।उसके अनुसार हर साल एक ही तारीक या एक से दो दिन का अंतर होता है। विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति व सूर्य के गोचर के आधार पर ही मनाया जाता है। जिस दिन सूर्य कन्या राशि में गोचर करता है उस तिथि पर मनाया जाता है अधिकांश हिंदू त्यौहार एक तिथि पर नहीं मनाये जाते क्योंकि अधिकांश शुभ दिन और त्योहार चंद्र कैलेंडर और तिथि चंद्र दिवस पर निर्भर करते हैं। जो हर साल बदलते रहते हैं, लेकिन अधिकांश बार विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को ही पड़ता है ऐसा इसलिए क्योंकि विश्वकर्मा पूजा के दिन की गणना सूर्य के गोचर के आधार पर की जाती है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के शिल्पकार के रूप मे जाना जाता है। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा को हिंदू धर्म मे निर्माण एवं सृजन के देवता के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं कि श्रीलंका का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था।भगवान श्री कृष्ण की पवित्र नगरी द्वारिका का निर्माण,और पाण्डवों की महामाया सभा का निर्माण भी विश्वकर्मा भगवान ने ही किया था।विश्वकर्मा पंचमुखी है। उनके पांच मुख हैं जो पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऋषियों के मत्रों द्वारा उत्पन्न हैं।
उनके नाम है मनु मय त्वष्टा, शिल्पी, और देवज्ञ। हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को श्रृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का वंशज माना जाता है।ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वासुदेव थे।जिन्हें सिर्फ शास्त्रों मे आदि पुरुष माना जाता है। इन्ही वासुदेव की अर्द्धाग्नि से विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। हिंदू मान्यता के अनुसार विश्वकर्मा जी वास्तुकला विज्ञान के ऐसे इंजीनियर थे। जिन्होंने देवताओं के लिए शानदार हथियारों का निर्माण किया था। और निर्माणों कार्यों,हेतु उपयोगी मशीनों को बनाने का कार्य किया था। इसी कारण उनके जन्मदिन पर सभी उद्योगों, फैक्ट्रियों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। फैक्ट्री के मालिक अपने-अपने पेशे में सफलता पाने और उन्नति के लिए भगवान विश्वकर्मा से प्रार्थना करते हैं। विश्वकर्मा जयंती को हिंदू समाज द्वारा एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विश्वकर्मा की विशेष प्रतिमाएं और चित्र सामान्यतः प्रत्येक कार्यस्थल और कारखाने में स्थापित किए जाते हैं। सभी कार्यकर्ता एक आम जगह पर इकट्ठा होते हैं। और श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हैं। और आपस मे मिठाइयाँ बांटते हैं। इसीलिए भगवान विश्वकर्मा को श्रृष्टि के प्रथम शिल्पकार के रुप मे पूजा जाता है।