2अक्टूबर गांधी जयंती को क्यो मनाया जाता है अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस ? Why is October to Gandhi jayanti celebrated International day of non violence?
अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस महात्मा गांधी जी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को मनाया जाता है 2024 का यह दिन गांधी जी की शांति की विरासत का स्मरण का दिन है। भारत में 2अक्टूबर को गांधी जयंती को समर्पित राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी जिनको लोग पूरे भारत और विदेशों में भी बापू के नाम से जानते हैं। ऐसे महात्मा गांधी जी का वास्तविक नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था।
मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद गांधी जी ने विदेश जाने का निर्णय लिया परिवार वालों ने शर्तों पर विदेश जाने की अनुमति दी।उस समय उन्होंने विदेश में किसी भी तरह से धूम्रपान या मांस मदिरा से दूर रहने की शर्त रखी। और गांधी जी ने यह संकल्प अपने परिवार के सामने लिया था।उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में प्रवेश लिया और 3 साल बाद अपनी कानून की डिग्री पूरी की। वह अपने परिवार से की गई प्रतिज्ञा का सम्मान करते थे। गांधी जी की ज्ञान आधारित शिक्षा के स्थान पर आचरण आधारित शिक्षा के समर्थक थे। उनके अनुसार शिक्षा प्रणाली ऐसी हो जो व्यक्ति को अच्छे बुरे का ज्ञान प्रदान कर उसे नैतिक बनने के लिए प्रेरित करे। वे शिक्षा को मानव के सर्वांगीण विकास का सशक्त माध्यम मानते थे।
महात्मा गांधी जी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। गांधी जी ने गरीबी कम करने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार करने, धार्मिक और जातीय सद्भाव का निर्माण करने, और जाति व्यवस्था के अन्याय को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय अभियानों का नेतृत्व करते हुए गांधी जी ने अहिंसक और सविनय अवज्ञा के सिद्धांतों को सर्वोच्च रूप से लागू किया। और भारत को विदेशी प्रभुत्व से मुक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।महात्मा गांधी भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। गांधी जी के नारे उनके विचारों और आदर्शों को व्यक्त करते हैं। उन्होंने भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध करने, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने सामाजिक न्याय के लिए लड़ने और अपने आदर्शों पर पूर्ण स्वायत्तता हासिल करने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध का मार्ग दिखाया।
गांधी जी ने अपने आंदोलन में कई नारे दिए। जिनमें से कुछ करो या मरो। यह नारा गांधी ने 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया था। इस नारे में भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ सशक्त प्रतिरोध करने का आहावान किया था। गांधी जी ने यह भी कहा था। कि भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से लड़ना चाहिए। लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो हिंसा का भी सहारा ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।
चाहे उन्हें इसके लिए अपनी जान भी देनी पड़ेगी। अहिंसा परमो धर्म यह नारा गांधी जी के अहिंसक आंदोलन का मूल मंत्र था। इस नारे में अहिंसा को सर्वोच्च धर्म बताया गया है। गांधी जी का मानना था कि अहिंसा ही एक मात्र रास्ता है जिससे शांँति और न्याय प्राप्त किया जा सकता है। गांधी जी ने अहिंसा को एक शक्तिशाली हथियार के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि अहिंसा का उपयोग हिंसा और उत्पीड़न का विरोध करने के लिए किया जा सकता है। बिना हिंसा का सहारा लिए उन्होंने अहिंसा के कई रूपों का इस्तेमाल किया। जैसे सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, और नागरिक अवज्ञा आंदोलन,सत्यमेव जयते, यह नारा गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का प्रतीक है। इस नारे का अर्थ है सत्य की ही जीत होती है। यह नारा गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का प्रतीक है। गांधी जी का मानना था कि सत्य ही प्रकृति का नियम है। और अंत में सत्य की ही जीत होती है।
गांधी जी ने अपने जीवन में हमेशा सत्य का पालन किया वह चाहे परिणाम कुछ भी हुआ हो। उन्होंने सत्य को सर्वोच्च धर्म बताया और कहा कि सत्यमेव जयते नारा भारत का राष्ट्रीय नारा है। यह नारा भारतीयों को सत्य के मार्ग पर चलने और सत्य के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करता है। हरिजन सेवा यह नारा गांधी जी के सामाजिक न्याय के आंदोलन का प्रतीक है। दलितों की सेवा यह नारा गांधी जी के सामाजिक न्याय के आंदोलन का प्रतीक है। गांधी जी का मानना था कि सभी लोगों को समान अधिकार और सम्मान दिया जाना चाहिए। चाहे उनकी जाति और धर्म कुछ भी हो। गांधी जी ने अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी।और सभी लोगों के लिए समान अधिकारों के लिए अभियान चलाये।उन्होंने हरिजनों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सेवा, और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए काम किया। स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है यह नारा गांधी जी के स्वराज आंदोलन का प्रतीक था।गांधी जी ने स्वराज आंदोलन के माध्यम से भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए काम किया। गांधी जी के नारे आज भी लोगों को अहिंसा सत्य और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। जो भारतीय संस्कृति और सामाजिक मूल्यों के मूल सिद्धांतों का प्रतिबिंबित करते हैं।अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जी के जन्म पर मनाया जाता है
अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस की स्थापना -
इसकी स्थापना 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रस्ताव के अनुसार की गई थी। यह दिन शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के माध्यम से अहिंसा के संदेश देश सहित विदेशों मे प्रसारित करने और विश्व शांँति के प्रसार के लिए एक अवसर है। इस दिवस को दुनिया भर में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। और विश्व के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए इस दिवस को गांधी जयंती के रूप मे मनाया जाता है।