भारत मे भारी वर्षाऔर तबाही के क्या कारण?

 


उत्तर भारत में हुई भारी बारिश के पीछे की वजह है मानसूनी हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ के बीच संगम।जिसके कारण दिल्ली एनसीआर में बाढ़ जैसी हालत हो गए है।साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ मे बादल फटने के कारण आई घातक बाढ़ भी इसी तरह के संगम का परिणाम था। 


2023 यानी ठीक 10 साल बाद इसी प्रकार का संगम हुआ है।। और इसमें पूरा उत्तर भारत  उत्तर प्रदेश  राजस्थान, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर,हिमाचल प्रदेश, और अन्य राज्यों  में भी बारिश ने बड़ी तबाही मचाई है।2013 मे उत्तराखण्ड के केदारनाथ मे बादल फटने के कारण  मानसून पूरे देश में रिकॉर्ड समय 16 जून तक  पहुंच गया था। बल्कि केदारनाथ में बादल फटने सहित उत्तराखंड में भयंकर बारिश भी हुई।रिपोर्ट के अनुसार इस जल प्रलय के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन में 5000 से ज्यादा लोग मारे गए।और 500000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे।


इस बार जुलाई मास मे  राजधानी दिल्ली में 41 सालों के बारिश के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।यह 41 साल में पहली बार हुआ है।जब दिल्ली एनसीआर में इतनी ज्यादा बारिश हुई है। कि प्रशासन को बडा़ अलर्ट जारी करना पड़ा है। दिल्ली और गुड़गांव में कई लोगों के मरने की खबर है। सड़कों और घर में पानी भर जाने, मकान ढहने, पेड़ गिरने,जैसी घटनाओं से  से पूरा एनसीआर अस्त-व्यस्त हो गया है। जब इस तरह से दो विक्षोभों का संगम होता है तो इसमें बहुत ज्यादा बारिश होती है।क्योंकि हवायें  पहाड़ियों से टकराती हैं। और ऊपर उठती हैं।जो बादलों से टकराती हैं। जिससे भारी वर्षा होती है।

 वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्म होती दुनिया में इस प्रकार के  संगम के कारण होने वाली बारिश की तीव्रता बढ़ सकती है। इस बार हिमाचल प्रदेश में हुई सबसे ज्यादा तबाही। भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में लोगों की मौत हुई है। जबकि  यूपी पंजाब और राजस्थान के मैदानी इलाकों में भी कई लोगों की मौत हुई है। मनाली में दुकानों के बह जाने और हिमाचल के कुल्लू में ब्यास नदी के किनारे पार्क किए गए वाहनों की बाढ़ से बह जाने की दुखद खबरें और वीडियो सामने आ रहे हैं।हिमाचल प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों  में से एक है। जहां 7 जिलों के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है।मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत में बारिश अभी जारी रहेगी।

शहरी क्षेत्रों मे बाढ के कारण

भारी वारिश के बाद जब प्राकृतिक जल संग्रहण,भूमि,जल स्रोतों,मार्गों,की जल को धारणक्षकरने की क्षमता का सभी तरह से दोहन हो जाता है।तो जल उन स्रोतों से निकलकर आस-पास की सूखी भूमि को डुबो देता है या कटाव कर देता है।

बाढ प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही कारणों का परिणाम है।

पहाडी़ राज्यों मे बादल अक्सर पहाडो़ के नजदीक ही फटते हैं।विगत वर्षों मे उत्तराखण्ड मे इसी कारण बहुत तबाही हुई।


गाद का संचयहोना,नदियों की सफाई न होना।नदियों का मार्ग अवरूद्ध होना।

मानवनिर्मित अवरोध तटबन्धों,नहरों और रेलवे सम्बधित निर्माण,जिससे नदियों की प्रवाह क्षमता मे कमी आती है।

वनों की कटाई। जिससे बाढ़मे मिट्टीऔर पत्थर बहकर आते हैं।और बाढ का भयंकर रूप बन जाता है।

खराब नगर नियोजन,अतिक्रमण, अन्य भी कई कारण हैं।

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