क्या तिमला फल मे मिला कैंसर का इलाज?

 


तिमला एक ऐसा मौसमी फल  जिसका उपयोग बहुत प्रकार से किया जाता है। यह उत्तराखंड, हिमाचल, भूटान, नेपाल,म्यामार दक्षिणीअमेरिका, वियतनाम आदि जगहों पर पाया जाता है। इसको अंग्रेजी मे Elephant fig कहते है।उत्तराखंड मे इसके  पत्तों को शुद्ध माना जाता है इसलिए तिमला के पत्तों का प्रयोग  देवी देवताओं के पूजा पाठ में किया जाता है।



 उत्तराखंड में इस फल को जंगली प्रजाति में रखा गया है। इसलिए इसकी विशेष रूप से बागवानी नहीं की जाती है। तिमला के अन्दर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के रोकथाम के गुण होते हैं। तिमला एक मौसमी फल होने के कारण इसका कई उद्योगों में उपयोग किया जाता है।इसका उपयोग हम सब्जी जैम, जेली, तथा



 फार्मासिटिकल,न्यूट्रास्यूटिकल, एवं बेकरी उद्योग में बहुतायत मात्रा में उपयोग किया जाता है।  उत्तराखंड में तिमला समुद्र तल से 800 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। यह एग्रोफोरेस्ट्री के अंतर्गत आता है।स्वतः ही खेतों की मेड़ पर उग जाता है।पाने फर जिसको बड़े चाव से खाया जाता है इसकी पत्तियों बड़े आकार के होने के कारण पशु चारे के लिए  उपयोग में किया जाता है।तिमला न केवल पोष्टिक एवं औषधि महत्व के साथ-साथ पर्वतीय क्षेत्रों मे



 पारिस्थितिकीय तंत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई प्रकार के जानवरों,और पक्षियों के आहार का भी उपयोग मे यह फल का आता है। ये आहार लेते हैं और इसी के तहत बीज को एक जगह से दूसरी जगह फैलाने में भी सहायक होते हैं। वेल्थ ऑफ इंडिया के एक अध्ययन के अनुसार तिमला में प्रोटीन 5.3 प्रतिशत ,कार्बोहाइड्रेट 27.09 प्रतिशत, फाइबर 16.96प्रतिशत, कैल्शियम 1.35, मैग्नीशियम, 0.90, पोटेशियम 2.21,  तथा फास्फोरस 0.28 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम पर पाये जाते हैं। तिमि को गुलकोज, फ्रक्टोज, सुक्रोज का भी बेहतर स्रोत माना जाता है। फाइबर बहुत मात्रा मे पाया जाता है। गुलकोज



 फल के बजन का 50 प्रतिशत पाया जाता है। इसमें बसा तथा कैलस्ट्रोल नहीं होता है। अन्य फलों की तुलना में काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है तथा फल के अनुपात में 50% तक पाया जाता है। तिमला में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा 84.08 प्रतिशत (0.1मिग्रा प्रति मि0 ली0) तक पाया जाता है। चीन में तिमला की ए ही एक प्रजाति फाइकस करीका औद्योगिक रूप से उगाई जाती है। तथा इसका फल बाजार में पीह के नाम से बेचा जाता है। पारंपरिक रूप से चीन में हजारों वर्षों से तिमला का औषधीय रूप में प्रयोग किया जाता है।



 FAOSTAT2013 के अनुसार विश्वंभर मे 1.1मिलियनटन का उत्पादन पाया गया। जिसमें सर्वाधिक टर्की, 0.3, इजिप्ट 0.15,अल्जीरिया 0.12  मोरक्को 0.1, ईरान 0.08 मिलियन टन उत्पादन पाया गया।

 तिमला के भीतर कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी की रोकथाम हेतु गुण मौजूद है।


 तिमला मे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम हेतु गुण मौजूद है। वन अनुसंधान संस्थान (FRI) के कैमिस्ट्री डिवीजन के शोध मे पता चला कि तिमि के तेल मे चार ऐसे फैट एसिड है। जिनसे कैंसर समेत अन्य बीमारियों का इलाज संभव है। इस शोध का प्रस्तुतीकरण 2017 दून मे हुए 19वें राष्ट्रमंडल वानिकी सम्मेलन मे किया गया। 



यदि उत्तराखंड मे भी इस पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर इस फल का ब्यावसायिक उत्पादन, और मार्केट नेटवर्क को बढाया जाता है। तो भविष्य मे यह स्वरोजगार ओर प्रदेश के आर्थिक हेतु अच्छा विकल्प बन सकता है।

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