महात्मा गौतम बुद्ध के चार गुण और अष्टमार्ग क्या हैं? Mahatma Gautham bhudh

 


महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म 483 ईसा पूर्व लुंबिनी नेपाल में पूर्णिमा के दिन हुआ था। तथा महापरिनिर्वाण 563 ईसा पूर्व हुआ था,उनको भगवान विष्णु का 9वाँ अवतार माना जाता है।बौद्ध धर्म के त्रिरत्न बुद्ध,धम्म,और संघ हैं। महात्माँ गौतम ही बौद्ध धर्म के संस्थापक थे।उन्हें एशिया का ज्योति पुंज भी कहा जाता है।12 मई 2025 को  गौतम बुद्ध जी की 2587 वीं जयन्ती है। जन्म 7 दिन बाद उनकी माता जी का स्वर्गवास हो गया  था। गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था उन्होंने गुरु विश्वामित्र से  वेद और उपनिषदों की शिक्षा ली राजकाज और युद्ध विद्या की भी शिक्षा ली कुश्ती घूडदौड तीर कमान रथ हांकने में भी वे बहुत सक्षम थे। उनका मन बचपन से ही करुणा भरा था उनसे किसी भी प्राणी का दुख नहीं देखा जाता था। गौतम बुद्ध ने पूरे संसार को शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाया था।

जब पूरा भारत हिंसा,अशांति और अंधविश्वास की बेडियों से जकड़ा हुआ था।उस समय गौतम बुद्ध ने लोगों को इन दुःखों से मुक्त किया।  बौद्धकाल में शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास का साधन था। इसका उद्देश्य मात्र पुस्तके ज्ञान प्राप्त करना नहीं था। बल्कि मनुष्य के स्वास्थ्य का भी विकास करना था।बौद्ध युग में शिक्षा व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, तथा आध्यात्मिक उत्थान का सर्व प्रमुख माध्यम था।गौतम  बुद्ध के अनुसार जाति धर्म, लिंक भेद ये सब भटकाने वाले हैं। वे समानता ओर समरसता के पक्षधर थे। धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में सभी जगह स्त्री एवं पुरुषों में सामान्य योग्यता एवं अधिकार हैं ।इतना ही नहीं शिक्षा चिकित्सा और आजीविका के क्षेत्र में भी हुए समानता के पक्षधर थे। उनके अनुसार एक मानव का दूसरे मानव के साथ व्यवहार मानवता के आधार पर होना चाहिए।ना की जाति वर्ण और लिंग के आधार पर ।भगवान बुद्ध में अनंतानंद गुण विद्यमान थे।



उनके गुणों को चार भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है

 1- कायगुण


2- वाग गुण


3-चित्त्तगुण 


4- कर्म- गुण 


 अष्टमार्ग के सूत्र -


1-शुद्ध ज्ञान, 


2-शुद्ध संकल्प. 


3-शुद्ध वार्तालाप, 


4-शुद्ध आचरण, 


5-शुद्ध आजीविका, 


6-शुद्ध ब्यायाम 


7-शुद्ध स्मृति, 


8-शुद्ध समाधि, 


महात्मा गौतम बुद्ध का सांसारिक सुखों से मन हट गया था। जीवन के रहस्य को जानने के लिए संसार को छोड़ने का निश्चय किया। बौद्ध 


धर्म की स्थापना के लिए गृह त्याग किया। और अंत में वे बिहार में बौद्धगया में पहुंचे जहां पीपल के पेड़ के नीचे तपस्या की और ज्ञान प्राप्त किया।सिद्धार्थ गौतम ने जन्म, मरण के पार का साक्षात्कार किया। उन्होंने अपनी चेतना से यह भी जाना कि सांसारिक दुःख -सुख के क्या कारण हैं? और उनका निवारण कैसे करें।उनको बाद में बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के रूप में जाना जाने लगा। तथा हिंदू धर्म में बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा विश्व के लगभग सभी देशों में कंबोडिया जापान चीन इंडोनेशिया कोरिया मलेशिया म्यांमार नेपाल फिलीपींस आस्ट्रेलिया कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में अलग-अलग तरीकों मनाया जाता है।समकालीन हिन्दू धर्म मे,बौद्ध उन हिन्दुओं द्वारा पूज्यनीय है।जो आमतौर पर बौद्ध धर्म को हिन्दू धर्म का दूसरा रूप मानते हैं।

 महात्मा बुद्ध को दुनिया इसलिए याद करती है क्योंकि उन्होंने दुनिया को दुख से मुक्ति का मार्ग दिखाया, जो आज भी प्रासंगिक है. उन्होंने अपनी शिक्षाओं से लोगों को जीवन के उद्देश्य और सही दिशा पर सोचने के लिए प्रेरित किया. 

महात्मा बुद्ध के मुख्य योगदान:

बौद्ध धर्म का संस्थापक: बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की, जो दुनिया के सबसे बड़े धर्मों में से एक है,

दुख से मुक्ति का मार्ग:

बुद्ध ने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग की शिक्षा दी, जो दुख से मुक्ति का मार्ग बताते हैं. 

अहिंसा और प्रेम: बुद्ध ने अहिंसा और प्रेम को महत्व दिया, जो आज भी दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है,

ज्ञान और सत्य:बुद्ध ने ज्ञान और सत्य को महत्व दिया, और लोगों को तर्क और विवेक से सोचने के लिए प्रेरित किया. 

मध्यम मार्ग: बुद्ध ने मध्यम मार्ग की शिक्षा दी, जो चरम से बचने और जीवन में संतुलन बनाए रखने का मार्ग बताता है,इन सब कारणों से महात्मा बुद्ध को दुनिया भर में याद किया जाता है और उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं।

बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गौतम बुद्ध के जन्म से 12 वर्ष पूर्व ही एक ऋषि ने भविष्यवाणी की थी कि यह बच्चा या तो एक सार्वभौमिक सम्राट या महान ऋषि बनेगा। 35 वर्ष की आयु में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। वह संसार का मोह त्याग कर तपस्वी बन गए थे और परम ज्ञान की खोज में चले गए थे। आइए आज हम आपको सिद्धार्थ के महात्मा बुद्ध बनने तक के सफर के बारे में बताते हैं।

भगवान बुद्ध का जीवन आत्म-बोध तथा नि:स्वार्थ सेवा की प्रेरणा देता है।

आइए, हम सभी भगवान बुद्ध के ध्यान, करुणा और सह-अस्तित्व के पथ का अनुसरण कर समरस व शांतिपूर्ण समाज के निर्माण का संकल्प लें।


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