गढ़वाल राइफल क्यों भारतीय सेना का गौरव रेजिमेंट है? The Garrhwal Riflels
गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित पैदल सेना रेजिमेंट है, जिसकी स्थापना 1887 में हुई थी यह रेजिमेंट गढ़वाल क्षेत्र के अदम्य सैनिकों से बनी थी, जो अपनी शारीरिक सहनशक्ति, और युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध थी। रेजिमेंट ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों के साथ-साथ भारत-चीन युद्ध, भारत-पाक युद्धों और कारगिल युद्ध में भी अपनी वीरता का प्रदर्शन किया है.
गढ़वाल राइफल्स का
1887 में, ब्रिटिश भारतीय सेना ने गढ़वाल क्षेत्र के सैनिकों को संगठित करने के लिए गढ़वाल राइफल्स की स्थापना की.
नामकरण:
शुरुआत में इसे 39 वीं गढ़वाल रेजीमेंट के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसे गढ़वाल राइफल्स नाम दिया गया,
प्रथम विश्व युद्ध:-
रेजिमेंट ने प्रथम विश्व युद्ध में पश्चिमी मोर्चे पर और मेसोपोटामिया अभियान में भाग लिया रेजिमेंट ने द्वितीय विश्व युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर उत्तरी अफ्रीका और बर्मा में.
भारत-चीन युद्ध:
1962 के भारत-चीन युद्ध में गढ़वाल राइफल्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,
भारत-पाक युद्ध:
1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में भी रेजिमेंट ने अपनी बहादुरी का प्रदर्शन किया.
कारगिल युद्ध:
1999 के कारगिल युद्ध में भी गढ़वाल राइफल्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,
युद्धघोष:
गढ़वाल राइफल्स का युद्धघोष "बद्री विशाल लाल की जय" है।
गढ़वाल राइफल्स की उपलब्धियां:-
रेजिमेंट ने 3 विक्टोरिया क्रॉस, 1 अशोक चक्र, 4 महावीर चक्र और कई अन्य सम्मान प्राप्त किए हैं,
गढ़वाल राइफल्स ने भारत और विदेशों में कई महत्वपूर्ण लड़ाइयों में भाग लिया है,
रेजिमेंट ने अपनी वीरता और पराक्रम से भारतीय सेना में एक प्रतिष्ठित स्थान बनाया है,
गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक गौरवशाली रेजिमेंट है, जिसने अपनी वीरता और पराक्रम से भारत का नाम रोशन किया।
गढ़वाल रेजीमेंट भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित रेजिमेंट है, जिसने कई युद्धों और अभियानों में भाग लिया है और वीरतापूर्ण प्रदर्शन किया है। इसने तीन विक्टोरिया क्रॉस, एक अशोक चक्र सहित कई सम्मान और पुरस्कार जीते हैं।
प्रमुख उपलब्धियां:
विक्टोरिया क्रॉस:
गढ़वाल राइफल्स को तीन विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया है, जो ब्रिटिश सेना द्वारा दिए जाने वाले सबसे उच्च वीरता पुरस्कार हैं।
अशोक चक्र:
यह भारतीय सेना का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है, जो गढ़वाल राइफल्स को भी प्राप्त हुआ है।
अन्य पुरस्कार:
इसके अलावा, रेजिमेंट को चार महावीर चक्र, 10 कीर्ति चक्र, 43 वीर चक्र, 49 शौर्य चक्र, 7 परम विशिष्ट सेवा पदक, 1 उत्तम युद्ध सेवा पदक, 25 अति विशिष्ट सेवा पदक, 13 युद्ध सेवा पदक, 122 सेना पदक, 30 विशिष्ट सेवा पदक, 1 जीवन रक्षा पदक, 19 सेनाध्यक्ष प्रशस्ति और 92 डिस्पैच में उल्लेख किया गया है।
युद्ध और अभियान:
गढ़वाल राइफल्स ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों, 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और कारगिल युद्ध सहित कई युद्धों और अभियानों में भाग लिया है।
बहादुरी के किस्से:
रेजिमेंट ने कई बहादुरी के किस्से लिखे हैं। उदाहरण के लिए, प्रथम विश्व युद्ध में, नायक दरबान सिंह नेगी को किंग जॉर्ज पंचम द्वारा व्यक्तिगत रूप से विक्टोरिया क्रॉस प्रदान किया गया था। जो कि किसी भी भारतीय सैनिक के लिए प्रथम विक्टोरिया क्रास सम्मान था।1962 के भारत-चीन युद्ध में, राइफलमैन जसवंत सिंह ने चीनी सैनिकों को पीछे हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
थिएटर सम्मान:
गढ़वाल राइफल्स ने कई थिएटर सम्मान भी जीते हैं, जिनमें जम्मू और कश्मीर (1947-48), पंजाब (1965), राजस्थान (1965), पूर्वी पाकिस्तान (1971) और कारगिल (1999) शामिल हैं।
संक्षेप में, गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक गौरवशाली रेजिमेंट है, जिसने अपने साहस और वीरता के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं।
गढ़वाल राइफल्स
अब तक रेजिमेंट ने 33 युद्ध सम्मान अर्जित किए हैं। इनमें से सात को स्वतंत्रता के बाद की अवधि में सम्मानित किया गया है। रेजिमेंट ने निम्नलिखित थिएटर सम्मान भी जीते हैं: जम्मू और कश्मीर - 1947-48, पंजाब - 1965, राजस्थान - 1965, पूर्वी पाकिस्तान गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना में सबसे सुशोभित रेजिमेंट में से एक है। रेजिमेंट को 3 विक्टोरिया क्रॉस , 1 अशोक चक्र , 4 महावीर चक्र , 10 कीर्ति चक्र , 43 वीर चक्र , 49 शौर्य चक्र, 7 परम विशिष्ट सेवा पदक , 1 उत्तम गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट- गढ़वाली योद्धाओं की शौर्य गाथा. Garhwal Rifels ...
इस रेजिमेंट ने अपने शौर्य से अंग्रेजों को अपना इतना प्रशंसक बना लिया था कि पहले विश्वयुद्ध में इस रेजिमेंट के नायक दरबान सिंह नेगी को विक्टोरिया क्रॉस देने के लिए ब्रिटेन के सम्राट जार्ज प्रथम खुद फ्रांस में युद्ध के मैदान में आए थे।
बिक्टोरिया क्रास ब्रिटेन का सबसे बड़ा सैनिक सम्मान हैं। विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरबान सिंह नेगी (नवम्बर 1881 - 24 जून 1950 ) पहले भारतीयों में से थे जिन्हें ब्रिटिश राज का सबसे बड़ा युद्ध पुरस्कार मिला था। वे करीब 33 साल के थे और 39 th गढ़वाल राइफल्स की पहली बटालियन में नायक के पद पर तैनात थे।
गढ़वाल राइफल्स ने कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों के अलावा तीन विक्टोरिया क्रॉस और एक अशोक चक्र जीता है। गढ़वाल राइफल्स ने किन युद्धों में भाग लिया है? यह रेजिमेंट कई युद्धों में शामिल रही है, जिनमें प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध, 1962 का भारत-
गढ़वाल राइफल्स वीरता की गाथा
रेजिमेंट ने फ्रांस में प्रथम विश्व युद्ध में बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ी, दो विक्टोरिया क्रॉस जीते - फेस्टुबर्ट में नायक दरवान सिंह नेगी और न्यूवे चैपल में राइफलमैन गबर सिंह नेगी (मरणोपरांत), पूर्व को किंग जॉर्ज पंचम द्वारा व्यक्तिगत रूप से विक्टोरिया क्रास से सम्मानित किया गया।
गढ़वाल राइफल्स – भारतीय सेना
आजादी के बाद थिएटर सम्मान: जम्मू और कश्मीर – 1947-48, लद्दाख – 1962, पंजाब – 1965, राजस्थान – 1965 और पूर्वी पाकिस्तान – 1971
युद्ध सम्मान: तिथवाल, नूरानांग, बुट्टर डोगरांडी, गडरा रोड और हिल्ली,गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट
गढ़वाल रेजिमेंट का इतिहास
रेजिमेंट की स्थापना गढ़वाल का आधुनिक सैन्य इतिहास सन 1814-15 के नेपाल युद्ध की समाप्ति से शुरू होता है। जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने गढ़वाल और कुमाऊं के पहाड़ी क्षेत्रों से व्यक्तियों को चुनकर सेना खड़ी की।
गढ़वाल राइफल्स: भारतीय सेना का गौरव
गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक प्रसिद्ध रेजिमेंट है, जो अपने साहस, लचीलेपन और असाधारण सैन्य उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध है। एक सदी से भी ज़्यादा पुराने इतिहास के साथ, इस रेजिमेंट ने भारतीय गढ़वाल रेजीमेंट की स्थापना 1887 में हुई। प्राचीन ग्रंथों में तपोभूमि हिमवन्त बदरीकाश्रम, उत्तराखंड केदारखण्ड आदि नाम से प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश का उत्तर पश्चिमी भू-भाग का नाम गढ़वाल
गढ़वाल राइफल्स – वीरता की गाथा 1891 में गोरखा कंपनियों को स्थानांतरित कर दिया गया और बंगाल इन्फैंट्री की 39वीं (गढ़वाल) रेजिमेंट अस्तित्व में आई, जिसे 1892 में 'राइफल्स' नाम दिया गया। 1901 में, गढ़वालियों की एक और बटालियन बनाई गई,
गढ़वाल राइफल्स में 26,000 से अधिक सैनिक हैं, जिनमें 21 नियमित बटालियन और अतिरिक्त प्रादेशिक सेना और राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन शामिल हैं।
गढ़वाल राइफल्स की कारगिल युद्ध में वीरतापूर्ण प्रदर्शन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है, जिसमें उन्होंने दुर्गम परिस्थितियों में भी शानदार प्रदर्शन किया, और दुश्मनों को पराजित किया,उनकी इस वीरता ने उन्हें भारतीय सेना में एक प्रतिष्ठित रेजिमेंट के रूप में स्थापित किया है।