पहलगाम में आतंकवादियों का धर्म नहीं? मरने वालों का धर्म क्यों जरूरी था? Pahalgam TerrorAttack

 


22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे जरुर पाकिस्तान का हाथ है।इस निर्मम, निहत्थे भारतीय पर्यटकों का धर्म पूछकर हत्या की गयी।यह हमला मुस्लिम कट्टरपंथी हमास की तर्ज पर हुआ है। इन मुस्लिम कट्टरपंथी आतंकवादियों ने धर्म पूछकर निर्मम हत्या की इस कुकृत्य की पूरी दुनिया निंदा कर रही है। वक्त आ गया पाकिस्तान का पूरा इलाज करने का।और जरूर करना चाहिए।

26 लोगों की हत्या का मास्टरमाइंड कौन, क्यों चुना ये वक्त?कश्मीर के पहलगाम शहर के निकट ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर पर्यटन स्थल बायसरन में मंगलवार दोपहर हुए आतंकी हमले  26 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में ज्यादातर पर्यटक थे। यह 2019 में पुलवामा में हमले के बाद घाटी में हुआ सबसे बड़ा हमला है।



विस्तार

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में मंगलवार को हुए भयावह आतंकवादी हमले पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हमले में 26 लोगों की मौत हो हुई है। इस कायराना हमले में 17 लोग घायल भी हुए हैं। इस हमले के शिकार हुए अधिकतर लोग पर्यटक थे, जो अपने परिवारों के साथ 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहे जाने वाले बायसरन घूमने आए थे। 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सबसे बड़ा हमला है। ये हमला ऐसे वक्त हुआ, जब पीएम मोदी देश से बाहर थे और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर थे। 

पहलगाम की बायसरन घाटी में मंगलवार दोपहर करीब तीन बजे आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा कर कम से कम 26 लोगों को मार डाला। ये आतंकी सेना की वर्दी में आए थे। आतंकियों ने पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा, परिचय पत्र देखे और फिर हिंदू हो कहकर गोली मार दी। 26 मृतकों में ज्यादातर पर्यटक हैं, जबकि दो विदेशी व दो स्थानीय नागरिक शामिल हैं। फरवरी, 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद  से जम्मू-कश्मीर में यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मंगलवार दोपहर करीब तीन बजे बायसरन घाटी के घास के मैदान में आतंकी घुस आए। इन आतंकियों ने खाने-पीने की दुकानों के आसपास घूम रहे, टट्टू की सवारी कर रहे पर्यटकों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी।ये सिसकियां कलेजा चीर देंगी! उन परिवारों की कहानी, जो खुशियां ढूंढने गए, गम लेकर लौटे पहलगाम में हुए इस आतंकी कायराना हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े गुट द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। खुफिया एंजेसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस हमले का मास्टर माइंड लश्कर-ए तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है। बताया जा रहा है सैफुल्लाह खालिद आतंकी हाफिज सईद का बेहद करीबी है। पाकिस्तानी सेना पर उसका इतना प्रभाव है कि सेना उसका फूलों से स्वागत करती है। वह सेना के अधिकारियों की पूरी मदद करता है। साथ ही पाकिस्तानी सेना के जवानों को भारत के खिलाफ भड़काता है। पहलगाम आतंकी हमले से दो महीने पहले सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था। यहां उसे पाकिस्तानी सेना के कर्नल जाहिद जरीन खट्टक ने जिहादी भाषण देने के लिए वहां बुलाया था। वहां उसने पाकिस्तानी सेना को भारत के खिलाफ भड़काया। जम्मू-कश्मीर में लश्कर और टीआरएफ की आतंकी गतिविधियों को वही अंजाम दे रहा है। बायसरन में हुए आतंकी हमले में अब तक छह आतंकियों के शामिल होने की बात सामने आई है। हमलावरों में दो पाकिस्तानी और दो स्थानीय आतंकी शामिल थे। दो अन्य के बारे में जानकारी अभी सामने नहीं आ सकी है। हमले में शामिल तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं। 

 आतंकी पहलगाम कैसे पहुंचे?

कहा जा रहा है कि घटनास्थल पर आतंकी देवदार के घने जंगलों के रास्ते आए थे। यह माना जा रहा है कि आतंकी किश्तवाड़ के रास्ते आए और फिर कोकरनाग के जरिए दक्षिण कश्मीर के बायसरन पहुंचे। कुछ लोगों ने आतंकियों की संख्या पांच बताई है। 


आखिर आतंकियों ने हमले के लिए यही वक्त क्यों चुना?

बायसरन घाटी में पर्यटकों पर हमले के लिए आतंकियों ने जो समय चुना वह पाकिस्तान की नापाक सोच को दर्शाता है। यह हमला पाकिस्तान आर्मी चीफ के टू-नेशन थ्योरी वाले भड़काऊ बयान, अमेरिकी उप-राष्ट्रपति के भारत दौरे, अमरनाथ यात्रा का पंजीकरण और जम्मू संभाग में आतंकरोधी अभियान के बीच हुआ है। रक्षा विशेषज्ञ हमले के समय को उस एजेंडे को बढ़ावा देना मान रहे है, जिसे 2019 के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने दफना दिया था। बायसरन जैसे आकर्षक पर्यटन स्थल पर हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां आतंकियों का हमला करना इस बात का संदेश देना है कि जम्मू-कश्मीर में सब कुछ सामान्य नहीं है। अमरनाथ यात्रा से पहले यह हमला इस बात का दबाव बनाने वाला है, कश्मीर में श्रद्धालु सुरक्षित नहीं हैं।

पहलगाम हमले का पाकिस्तानी लिंक अवश्य है

मुनीर ने क्या कहा था? 

पिछले हफ्ते इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन को संबोधित करते हुए पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने कश्मीर को अपनी दुखती रग बताते हुए कहा था।

हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके वीरतापूर्ण संघर्ष में नहीं छोड़ेंगे। हमारे धर्म अलग हैं, हमारे रीति-रिवाज अलग हैं, हमारी परंपराएं अलग हैं, हमारे विचार अलग हैं, हमारी महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। यहीं पर टू-नेशन थ्योरी की नींव रखी गई थी। हम दो राष्ट्र हैं, हम एक राष्ट्र नहीं हैं"। भारत ने मुनीर के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। 

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस क्या बड़े अमेरिकी नेता के दौरे के दौरान पहले भी हुआ आतंकी हमला है?

अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस इस वक्त भारत के दौरे पर हैं। वेंस के दौरे के बीच यह आतंकी हमला हुआ है। ये पहला मौका नहीं है जब किसी बड़े अमेरिकी नेता के दौरे के दौरान पाकिस्तान ने इस तरह की नापाक हरकत की है। इससे पहले साल 2000 में अनंतनाग जिले के चिट्टीसिंहपोरा गांव में 36 सिख ग्रामीणों का नरसंहार किया गया है। इस आतंकी हमले को 20 मार्च 2000 की रात को अंजाम दिया गया है। उस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन 21 से 25 मार्च के दौरान भारत दौरे पर थे। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने क्लिंटन के समक्ष पाकिस्तान की संलिप्तता का मुद्दा उठाया था।


इसी तरह 14 मई 2002 को जम्मू कश्मीर में कालूचक के नजदीक आतंकी हमला हुआ। इस हमले में तीन आतंकवादियो ने हिमाचल रोडवेज की बस को निशाना बनाया। हमले में सात लोगों की मौत हो गई। इसके बाद आतंकी सेना के पारिवारिक क्वार्टर में घुस गए और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में 23 लोगों की जान चली गई, जिनमें 10 बच्चे और आठ महिलाएं और पांच सैनिक शामिल थे। जब ये आतंकी हमला हुआ उस वक्त अमेरिका की सहायक विदेश मंत्री क्रिस्टीना बी रोका भारत दौरे पर थीं।  

इस आतंकी हमले में मारे गए 26 मृतकों में ज्यादातर पर्यटक थे। इनमें उत्तर प्रदेश के कानपुर के कारोबारी शुभम द्विवेदी, पश्चिम बंगाल के कोलकाता के बिटन अधिकारी, कोलकाता के ही समीर गुहा और पुरुलिया जिले के मनीष रंजन। मनीष मूलत: बिहार के रहने वाले थे। हरियाणा के रहने वाले लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, कर्नाटक के बंगलूरू के भरत भूषण, शिवमोगा के कारोबारी मंजुनाथ राव, महाराष्ट्र के दलीप जयराम देसाई, अतुल श्रीकांत मोने, गुजरात के हिम्मत भाई, प्रशांत कुमार बलेश्वर, मनीश राजदान, रामचंद्रम और सूरत के शलिंद्र कालापिया, भागवनगर के समित और यतीश परमार, बोटन अधकेरी और संजय लखन, अनंतनाग के सैयद हुसैन शाह शामिल है।



 पूरी लिस्ट-

 

क्रम नाम जिला/शहर राज्य/देश

1 शुभम द्विवेदी कानपुर उत्तर प्रदेश

2 नीरज उधवानी उत्तराखंड, राजस्थान

3 विनय नारवाल करनाल हरियाणा

4 दिनेश अग्रवाल चंडीगढ़ चंडीगढ़ (UT)

5 सुशील नथानियल इंदौर मध्य प्रदेश

6 सैयद आदिल हुसैन शाह पहलगाम जम्मू और कश्मीर

7 जे सचंद्रा मौली विशाखापत्तनम आंध्र प्रदेश

8 समीर गुहा कोलकाता पश्चिम बंगाल

9 बिटन अधिकारी कोलकाता पश्चिम बंगाल

10 मनीष रंजन पुरुलिया पश्चिम बंगाल, बिहार

11 दिलीप दिसले मुंबई महाराष्ट्र

12 हेमंत सुहास जोशी मुंबई महाराष्ट्र

13 संजय लक्ष्मण लेले ठाणे महाराष्ट्र

14 अतुल श्रीकांत मोने ठाणे महाराष्ट्र

15 संतोष जगदाले पुणे महाराष्ट्र

16 कौस्तुभ गणबोटे पुणे महाराष्ट्र

17 एन. रामचंद्रन कोच्चि केरल

18 प्रशांत कुमार सतपति बालासोर ओडिशा

19 मधुसूदन सोमिसेट्टी राव बेंगलुरु कर्नाटक

20 भरत भूषण बेंगलुरु कर्नाटक

21 मंजू नाथ राव शिवमोग्गा कर्नाटक

22 यतीश परमार भावनगर गुजरात

23 सुमित परमार (यतीश के पुत्र) भावनगर गुजरात

24 शैलेशभाई हिमत भाई कालथिया सूरत गुजरात

25 टगेहाल्येंग - अरुणाचल प्रदेश

26 सुदीप नवपने - नेपाल

Popular posts from this blog

सात युद्ध लड़ने वाली बीरबाला तीलू रौतेली का जन्म कब हुआ?Veerbala Teelu Rauteli

वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों जरूरी?2024 Waqf Board

संघ(RSS) के कार्यक्रमों में अब सरकारी कर्मचारी क्यों शामिल हो सकेंगे? Now goverment employees are also included in the programs of RSS