UCC लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना? क्या खास है इस बिल में ?What is Special about Uttarakhand UCC?
[28/01, 4:33 am] sr8741002@gmail.com: उत्तराखंड में 27जनवरी 2025 से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू कर दिया है, जिससे यह ऐसा कानून लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। सभी धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों को एक समान बनाने के उद्देश्य से लाए गए इस कानून को लेकर शुरुआत से ही समर्थन और विरोध दोनों देखने को मिले हैं।
उत्तराखंड के UCC एक्ट में शादी और तलाक, संपत्ति का उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और इससे जुड़े अन्य मामलों को रेगुलेट किया गया है। यह कानून पुरुषों और महिलाओं की शादी की उम्र को बराबर करता है, सभी धर्मों के लिए तलाक के आधार और प्रक्रियाओं को समान बनाता है, साथ ही बहुविवाह (polygamy) और हलाला पर रोक लगाता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस ऐतिहासिक कदम का नेतृत्व किया। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान यूसीसी पोर्टल का अनावरण किया, जो इस कानून के लागू होने में अहम भूमिका निभाएगा। उत्तराखंड स्वतंत्रता के बाद यह कानून अपनाने वाला यह देश का पहला राज्य बन गया है।
यूसीसी का मकसद है धर्म, लिंग, जाति और समुदाय के आधार पर भेदभाव को खत्म करना और समाज को समानता के आधार पर जोड़ना। यह कदम उत्तराखंड को सामाजिक न्याय की नई दिशा में ले जाने वाला माना जा रहा है।
यह कानून शादी, तलाक, विरासत और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे कई सामाजिक मुद्दों को संबोधित करता है। UCC के तहत शादियों, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप की रजिस्ट्रेशन को जरूरी बनाया गया है।
उत्तराखंड में लागू हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)
2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वादा किया था कि अगर वे दोबारा सत्ता में आते हैं तो यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करेंगे। चुनाव में जीत के बाद उन्होंने इस वादे को पूरा करने के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी बनाई, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस रंजन प्रकाश देसाई ने की। इस कमेटी ने 2.3 लाख से ज्यादा नागरिकों से सुझाव लेकर कोड का ड्राफ्ट तैयार किया।
740 पन्नों के इस ड्राफ्ट को 2 फरवरी 2024 को मुख्यमंत्री के सामने पेश किया गया। 4 फरवरी को इसे कैबिनेट ने मंजूरी दी। 6 फरवरी को इसे विधानसभा में पेश किया गया और अगले ही दिन पास कर दिया गया। इसके बाद 28 फरवरी को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने इसे अपनी स्वीकृति दी और अंततः 11 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बिल पर साइन कर इसे कानून बना दिया।
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहां UCC लागू किया गया है। इसे लेकर सरकार ने इसे सभी के लिए समान अधिकार और कानून का प्रतीक बताया।
उत्तराखंड में 27 जनवरी को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू हो गया।
उत्तराखंड में UCC (यूनिफॉर्म सिविल कोड) पूरे राज्य में लागू है। यह नियम राज्य के उन निवासियों पर भी प्रभावी रहेगा जो उत्तराखंड के बाहर रह रहे हैं। हालांकि, अनुसूचित जनजातियां और संरक्षित प्राधिकरण द्वारा विशेष अधिकार प्राप्त व्यक्ति और समुदाय UCC के दायरे से बाहर रखे गए हैं।
ऑनलाइन पोर्टल 27जनवरी को दोपहर 12:30 बजे लॉन्च हो गया और अगले हफ्ते से उत्तराखंड के नागरिकों के लिए उपलब्ध होगा। इस पोर्टल के जरिए लोग शादी, तलाक, उत्तराधिकार अधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और उनके समाप्ति से जुड़े मामलों का रजिस्ट्रेशन कर पाएंगे।
इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही, आवेदन की स्थिति को ईमेल या SMS के जरिए आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। यह पोर्टल नागरिकों के लिए सरल और सुविधाजनक अनुभव प्रदान करेगा।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC): शादी और तलाक पर असर
शादी पर असर:
UCC के तहत पुरुषों की कानूनी शादी की उम्र 21 साल और महिलाओं की 18 साल तय की गई है।
सभी धार्मिक समुदायों में पॉलिगैमी और ‘हलाला’ पर पूरी तरह रोक लगाई गई है।
शादी धार्मिक रीति-रिवाजों से हो सकती है, लेकिन इसे 60 दिनों के अंदर रजिस्टर कराना जरूरी होगा।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
26 मार्च 2010 से पहले या उत्तराखंड के बाहर हुई शादियां कानून लागू होने के 180 दिनों के भीतर रजिस्टर कराई जा सकती हैं (यह वैकल्पिक है)।
सशस्त्र बलों और नाविकों को ‘प्रिविलेज्ड विल’ बनाने की सुविधा दी जाएगी, जो लचीले नियमों के तहत होगी।
UCC के तहत वसीयत और कोडिसिल को बनाना, रद्द करना और संशोधित करना आसान बनाया गया है।
तलाक पर असर-
UCC के तहत तलाक के लिए पुरुष और महिला दोनों को समान अधिकार दिए गए हैं। तलाक के मामले में पूरी तरह जेंडर न्यूट्रलिटी लागू की गई है, जिससे दोनों पक्ष समान आधार पर तलाक की मांग कर सकते हैं।
[28/01, 4:48 am] sr8741002@gmail.com: उत्तराखंड में यूसीसी के मुख्य प्रावधान
1. सभी के लिए समान नियम-
यूसीसी लागू होने के बाद शादी, तलाक, उत्तराधिकार और विरासत के नियम सभी धर्मों और समुदायों के लिए समान होंगे। इससे हलाला जैसी कुप्रथाओं का अंत होगा और महिलाओं को समान अधिकार सुनिश्चित किए जाएंगे।
2. विवाह और लिव-इन संबंधों का पंजीकरण-
विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य होगा।
बिना पंजीकरण के लिव-इन संबंध एक महीने से अधिक चलने पर तीन महीने की कैद या 10,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
विवाह पंजीकरण न होने पर 25,000 रुपये जुर्माना का प्रावधान किया गया है।
3. डिजिटल पोर्टल की व्यवस्था-
विवाह और लिव-इन संबंधों का पंजीकरण ऑनलाइन करने के लिए एक डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया गया है।
बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र सात दिनों के भीतर पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
4. द्विविवाह और बहुविवाह पर प्रतिबंध-
यूसीसी के तहत एक पत्नीत्व को सुनिश्चित किया गया है। विवाह के समय किसी व्यक्ति का अन्य जीवनसाथी जीवित नहीं हो सकता है।
5. उत्तराधिकार और विरासत-
वसीयतनामे में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आधार आधारित दस्तावेजीकरण और गवाहों की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य किया गया है।
लड़कियों और लड़कों को उत्तराधिकार में समान अधिकार मिल गया है।
महिलाओं को मिला अधिकार, न्याय
उत्तराखंड सरकार के इस निर्णय को महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हलाला जैसी प्रथाओं को समाप्त करने और लड़कियों को समान विरासत अधिकार देने के प्रावधानों को महिला सशक्तिकरण और समानता की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यूसीसी लागू करने के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है और अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए नियमों को मंजूरी दी गई है। यह कदम राज्य को समता और न्याय की ओर अग्रसर करेगा।