गायत्री मंत्र क्या है? Gayati mantra

 


ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेंण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्  ।।


अर्थ--हे सकल श्रृष्टि के रचियता,प्राणदाता,दुःख दूर करने वाले प्रभु, हममे बुद्धि उत्पन्न करके,हमे विर्धामियों से बचाकर हम अच्छे कर्म करते हुए आपकी उपासना करें।।


हिन्दू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता का जाता है। सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। माता गायत्री को भारतीय संस्कृत की जननी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गायत्री का उत्तरण माना जाता है। इस दिन को हम गायत्री जयंती के रूप में मनाते हैं।इस बार गायत्री जयंती का पर्व 13 जून गुरुवार को है। गायत्री की उपासना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां गायत्री से आयु, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन, एवं ब्रह्मवर्चस के इन सात  पुण्यों की प्राप्ति होती हैं। यह अथर्ववेद में बताया गया है कि मां गायत्री पंचमुखी युक्त  है।


 जिसका मतलब है कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड अर्थात जल, वायु, पृथ्वी, तेज, और आकाश  पांचों तत्वों से बना है। संसार में जितने भी प्राणी है उनका शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव की अन्दर गायत्री प्राणशक्ति के रूप में विद्यमान होती है। इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव के भीतर गायत्री प्राण प्रसाद के रूप में विद्यमान होती है। यही कारण है कि गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है। इसीलिए भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर प्राणी को प्रतिदिन गायत्री की  उपासना अवश्य करनी चाहिए। गायत्री माता सरस्वती लक्ष्मी एवं मां काली का प्रतिनिधित्व करती है। 


इन तीनों शक्तियों से ही परम ज्ञान यानी वेदों की उत्पति होने के कारण गायत्री को वेदमाता कहा गया है। गायत्री मंत्र के लिए शास्त्रों में लिखा है कि सर्व देवानामः गायत्री सर्वोच्च थी। जिसका मतलब है गायत्री मंत्र सभी वेदों का सार है। इसलिए मां गायत्री को वेदमाता गया।  वेदों में कहा गया है कि इस मंत्र में इतनी ऊर्जा है कि नियमित रूप से 3 बार इस महामंत्र का जाप करने से सारी नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। और जीवध मे सफलता ओर खुशियां प्राप्त होती हैं। अतः गायत्री मंत्र का जाप दिन में तीन बार करने से जीवन सकारात्मक,और कष्टमुक्त होता है।ब्यक्ति विकृतियों,से मुक्त होता है।और वह सही मार्ग पर अग्रसर होता रहता है।


और हम वेदों के सार को गायत्री के माध्यम से आत्मसात कर सकते हैं। महाभारत के रचयिता वेदव्यास कहते हैं गायत्री की महिमा ऐसी है जैसे फूलों में से शहद, दूध में से घी सार रूप में होता है।वैसे ही समस्त वेदों का सार गायत्री है।यदि गायत्री को सिद्ध कर लिया जाए तो वह (कामधेनु) इच्छा पूरी करने वाली दैवीय गाय के समान है। जैसे गंगा शरीर के पापों को धो कर तन और  मन को निर्मल करती है। उसी प्रकार गायत्री रूपी गंगा ब्रह्म गंगा से आत्मा पवित्र हो जाती है।


 गायत्री को सर्वसाधारण तक पहुंचाने वाले विश्वामित्र कहते हैं कि ब्रह्मा जी ने तीनों वेदों का सार तीन चरण वाले गायत्री मंत्र मे  निकाला है। गायत्री मंत्र से बढ़कर पवित्र करने वाला मंत्र और कोई नहीं है। जो गायत्री मंत्र का जाप करता है।वह  पापों से मुक्त हो जाता है।

Popular posts from this blog

सात युद्ध लड़ने वाली बीरबाला तीलू रौतेली का जन्म कब हुआ?Veerbala Teelu Rauteli

वक्फ बोर्ड क्या है? वक्फ बोर्ड में संशोधन क्यों जरूरी?2024 Waqf Board

1जनवरी को क्यों नहीं मनाते भारतीय संस्कृति में नववर्ष?why do not celebrate New year on january 1in Indian culture?