अन्तराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस क्या है?


 आज दुनिया भर में युवा कई प्रकार के नशाओं के आदी बनते जा रहे हैं।जिससे उनका जीवन बर्बाद होते जा रहा है। इनमे शराब,सिगरेट,तम्बाकू,ड्रग्स,आदि जैसे जहरीले और जानलेवा पदार्थ,हैं।ये मादक पदार्थो मे आते हैं।

अन्य नशे मे हैं - शोधकर्ताओं के अनुसार हर वह चीज जिसकी आपको लत लग जाए नशे की श्रेणी में ही आता है।ऐसे ही कुछ आदतें हैं जिन्हें छोड़ना बहुत मुश्किल होता है।जैसे मादक पदार्थों के अलावा चाय, काफी, वर्तमान समय के नवीन यंत्र, जैसे वीडियो गेम्स, स्मार्टफोन,फेसबुक, आदि का ज्यादा मात्रा में उपयोग नशे की श्रेणी में आता है। 


ऐसे में बहुत जरूरी है।कि युवाओं को नशा मुक्ति हेतु जाग्रत किया जाए। इस हेतु 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया जाता है।नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के खिलाफ। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस  1989 से 26 जून को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। वियना में 26 जून 1987 को एक नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के सम्बंध मे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई के महत्व को चिन्हित करने के लिए एक वार्षिक दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया गया। बाद में 26 जून को यह दिवस तय किया गया। इस दिन अभियान रैलियां पोस्टर डिजाइन और कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


जिससे युवाओं को नशा से होने वाले खतरों के बारे मे  जाग्रत किया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक गत दशक मे  दुनिया भर में लगभग 250 मिलियन लोगों ने नशीली दवाओं का इस्तेमाल किया।जिनमें से 36 मिलियन से अधिक लोग नशीली दवाओं के उपयोग से पीड़ित है। पिछले 24 वर्षों में दुनिया भर में इसकी वृद्धि 4 गुना तक बढ़ गई है।जो कि खतरे का संकेत है। भांग मारिजुआना का उत्पादन मध्य और दक्षिण एशिया के देश किया करते थे। नशीली पदार्थों के उपयोग के कारण होने वाली बीमारियों के खतरे बहुत बढ गये हैं।


पिछले 10 सालों में नशीली दवाओं का उपयोग करने वालों की संख्या में 22% की वृद्धि हुई है। भांग का नशा जो कि लंबे समय में मानसिक स्वास्थ्य विकारों के विकास के लिए जिम्मेदार होता है।एशिया में चीन और भारत में 2011 से 2020 के दौरान विशलेषण किए गए।19 प्रमुख डार्कनेट बाजार में बेची जाने वाली दवाओं के सेवन से जुड़े हुए हैं। इंटरनेट और ऑनलाइन बिक्री ने नशीली दवाओं के बाजार को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है। एक रिपोट के अनुसार नशीली दवाओं से होने वाले राजस्व का बाजार सालाना 315 बिलियन डालर तक पहुंच गया है। महामारी के कारण दुनिया भर में 100 मिलियन से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी में गिर गए।और 2020 में लगभग 255 मिलयन नौकरी चली गयी। इस दौरान नशीली दवाओं के सेवन मे भी बृद्धि हुई है। 2009 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों द्वारा नशीली दवाओं की समस्या का मुकाबला करने के लिए एक एकीकृत और संगठित होकर।अंतराष्ट्रीय सहयोग पर एक कार्य योजना को अपनाया गया था।जिसमें दवा नियंत्रण के लक्ष्य शामिल हैं। यूएसएन महासभा का विशेष सत्र 2016 में आयोजित किया गया था।जिसमें विश्व नशा दवा समस्या का आकलन किया गया था।जिसके परिणाम स्वरूप सात विषय गत अध्याय में 100 के परिचालन सिफारिशें की गई। 



भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ पहल के तहत नशा मुक्त भारत अभियान या ड्रग्स मुक्त भारत अभियान देश के 272 जिलों में 15 अगस्त 2020 स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुरू किया गया था। जो नशीली दवाओं के दुरुपयोग से अधिक और सबसे अधिक असुरक्षित और प्रभावित पाए गए थे।इसका उद्देश्य शिक्षण संस्थाओं के साथ सकारात्मक भागीदारी जन शिक्षा और स्वच्छता के लिए सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम और टीआरसी उपचार पुनर्वास और एकीकरण के द्वारा भारत को एक दवा मुक्त देश बनाना है। भारत में 2018 से 2025 के लिए नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा बनाया गया है। नशाखोरी के दुष्परिणामों को शिक्षा द्वारा कम करना था। व्यसन से प्रभावित लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करना इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठन के सामूहिक प्रयासों के लिए निवारक शिक्षा पहचान प्रमुख उपचार और नशीली दवाओं पर निर्भर व्यक्तियों के पुनर्वास और सेवा प्रदाता के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण प्रदान करना है। सरकार एपीडीआर के तहत वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। देश भर में 500 से अधिक स्वैच्छिक संगठनो द्वारा वर्तमान में योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।


नशे से हानियां 


 1-नशा करने वाले व्यक्ति सबसे ज्यादा दुर्घटनाओं का शिकार होता है।

 

2-नशा करने वाला व्यक्ति अपने समाज एवं परिवार से बिल्कुल दूर हो जाता है।


3- नशा करने वाला व्यक्ति आर्थिक मानसिक एवं शारीरिक सभी तरह से कमजोर हो जाता है।


4- नशा करने वाला व्यक्ति सदैव अपने ख्यालों में ही रहता है।

5- उसे अपने आसपास के माहौल से ज्यादा मतलब नहीं होता है।और अकेलेपन मे रहता है।

6- नशा करने वाला व्यक्ति हमेशा चिड़चिडा़ और मानसिक तनाव से ग्रस्त होता है।हर बात पर भड़क जाता है।


 7- मादक पदार्थों के सेवन का सबसे बुरा असर स्वास्थ्य की हानि होती हैं। इससे शरीर के कई अंगों पर एक साथ विपरीत असर पड़ता है। खासतौर से यह दिमाग को भी अपनी अपनी चपेट में ले लेता है।


नशा मुक्ति के उपाय 


1-नशा मुक्त के लिए आयुर्वेदिक दवाइयों का उपयोग कर सकते हैं जो कि भूतकाल में सफल भी हुए हैं।


 2-नशा मुक्त के लिए किसी सलाहकार को लेना बहुत जरूरी है। खास करके युवाओं को।

 3-होम्योपैथी भी नशा मुक्त के लिए अच्छा उपाय है 


4-भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा सभी राज्यों में नशा मुक्त केंद्र खुलवाएं गये हैं जो नशे से छुटकारा पाने के लिए बहुत उपयोगी हैं।

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